मानसून सत्र फिर से बुलाने पर आज विचार कर सकती है सरकार

नयी दिल्ली: सरकार जीएसटी जैसे सुधार के प्रमुख कदमों पर जोर देने के लिए संसद के मानसून सत्र को फिर से बुलाने के बारे में आज विचार कर सकती है. बीते 13 अगस्त को मानसून सत्र का सत्रावसान नहीं हुआ था, बल्कि इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था. प्राप्त जानकारी के अनुसार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 24, 2015 9:25 PM

नयी दिल्ली: सरकार जीएसटी जैसे सुधार के प्रमुख कदमों पर जोर देने के लिए संसद के मानसून सत्र को फिर से बुलाने के बारे में आज विचार कर सकती है. बीते 13 अगस्त को मानसून सत्र का सत्रावसान नहीं हुआ था, बल्कि इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था.

प्राप्त जानकारी के अनुसार संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू आज जब संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगे तो इस मुद्दे पर सरकार की योजना के बारे में कुछ प्रकाश डाल सकते हैं.मानसून सत्र काफी हंगामेदार रहा और पूरा सत्र वस्तुत: हंगामे की भेंट चढ गया था. इस दौरान सरकार की ओर से जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण विधेयक को पारित नहीं कराया जा सका.

बीते 21 जुलाई को शुरू हुए चार सप्ताह के सत्र में ललित मोदी विवाद और मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले को लेकर जमकर हंगामा हुआ था जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हो गई थी.जीएसटी विधेयक को पारित कराने की उत्सुक सरकार ने सत्र को फिर से बुलाने का विकल्प खुला रखा है क्योंकि संसदीय कार्य मामलों की कैबिनेट समिति ने तत्काल सत्रावसान नहीं करने का फैसला किया.
सूत्रों ने कहा कि मानसून सत्र को बुलाना इस बात पर निर्भर करेगा कि जीएसटी विधेयक पर दूसरे दलों के साथ कुछ महत्वपूर्ण प्रगति होती है या नहीं.अगर सरकार कुछ क्षेत्रीय दलों को मनाने में सफल रहती है और जीएसटी के लिए जोर देने का चुनाव करती है तो वह कुछ दिनों के लिए मानसून सत्र बुला सकती है.
उन्होंने कहा कि सत्रावसान नहीं करना और सदनों को सिर्फ अनिश्चिकाल के लिए स्थगित करने से सत्र को फिर से बुलाना संभव हो सकेगा.सविधान की धारा 85(2) के तहत राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों सदनों का अवसान करने का अधिकार होता है. अगर सत्रावसान नहीं होता है और इसे सिर्फ स्थगित कर दिया जाता है तो वही सत्र बना रहता है और उसे किसी भी समय बुलाया जा सकता है.

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