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क्या वोटों का ध्रुवीकरण रोकने दिग्विजय सिंह ने एआइएमआइएम चीफ असाउद्दीन ओवैसी को लिया निशाने पर?
आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमिन (एआइएमआइएम) नेता असाउद्दीन ओवैसी की बिहारमेंबढी राजनीतिक सक्रियता ने उन्हें चर्चा में ला दिया है. ताजा हमला उन पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने किया है. दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि ओवैसी अपने चुनावी कार्यक्रम भाजपा के पैसे पर करते हैं. दिग्विजय का आरोप है कि औवैसी […]
आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमिन (एआइएमआइएम) नेता असाउद्दीन ओवैसी की बिहारमेंबढी राजनीतिक सक्रियता ने उन्हें चर्चा में ला दिया है. ताजा हमला उन पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने किया है. दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि ओवैसी अपने चुनावी कार्यक्रम भाजपा के पैसे पर करते हैं. दिग्विजय का आरोप है कि औवैसी को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह फंड उपलब्ध करवाते हैं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा है कि पैसा भाजपा का और तकरीर ओवैसी का.
दिग्विजय सिंह का बयान ऐसे समय में आया है, जब ओवैसी ने बिहार विधानसभा में सीमांचल इलाके में जबरदस्त राजनीतिक एंट्री की है. ओवैसी ने मुसलिम बहुल इस इलाके में पिछले पखवाडे एक जनसभा संबोधित किया था और तमाम राजनीतिक पार्टियों को निशाने पर लिया था. उन्होंने उस समय नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार व लालू प्रसाद को निशाने पर लिया था. उन्होंने सीमांचल के लिए विशेष विकास परिषद के गठन की भी मांग उठाई थी.
दिग्विजय के निशाना साधने की वजह
ओवैसी की टिप्पणी पर जहां नीतीश कुमार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, वहीं महागंठबंधन में शामिल दिग्विजय सिंह ने उन पर करारा हमला बोला है. दिग्विजय महागंठबंधन के पहले ऐसे बडे नेता हैं, जिन्होंने ओवैसी की आलोचना की है और उन पर भाजपा के हाथों में खेलने का आरोप लगाया है. दिग्विजय सिंह का यह बयान इस भय से जुडा है कि बिहार की राजनीति में ओवैसी की इंट्री होने से मतों का ध्रुवीकरण तेज होगा और इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा. आम तौर भाजपा मुसलिम वोटर लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी व कांग्रेस के वोटर रहे हैं. लेकिन, अगर ओवैसी ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारे और मुसलिमों ने उन्हें अपना नेता मान कर वोट किया या उनके पक्ष में धु्रवीकृत होते दिखे, तो भाजपा को भी वोटों का ध्रुवीकरण का लाभ मिलेगा.
ओवैसी के निशाने पर सीमांचल ही क्यों?
एआइएमआइएम प्रमुख ओवैसी ने सीमांचल को चुनावी निशाने पर लिया है तो इसके गहरे निहितार्थ हैं. इस इलाके में मुसलिमों की आबादी 40 प्रतिशत है. अररिया, कटिहार, पुर्णिया व किशनगंज इलाके में मुसलिम वोट जीत व हार तय करने में अहम रोल अदा करते हैं. किशनगंज में 69 प्रतिशत मुसलिम हैं. इसके अलावा सीमाचंल से सहरसा व भागलपुर जिलों में भी मुसलिम आबादी प्रभावी है. इस इलाके में 25 से 30 सीटें जबरदस्त मुसलिम प्रभाव वाली हैं. इन इलाकों में मुसलिमों वोटर निर्णायक होते हैं. इसके अलावा भी बिहार की कई विधानसभा सीटों पर मुसलिमों का प्रभाव है.
मुसलिम हित की बात कर ओवैसी इस इलाके में अपना जनाधार मजबूत कर नीतीश, लालू के महागठजोड को चुनौती देना चाहते हैं.
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