राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने मोहन धारिया के निधन पर शोक जताया
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमाहेन सिंह ने दिग्गज समाजवादी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहन धारिया के निधन पर आज शोक जताया और कहा कि राष्ट्र ने एक अग्रणी शख्सियत खो दी जिसने देश के व्यापक हित में योगदान किया है. प्रणब ने धारिया की पत्नी शशिकला को भेजे एक शोक […]
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमाहेन सिंह ने दिग्गज समाजवादी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहन धारिया के निधन पर आज शोक जताया और कहा कि राष्ट्र ने एक अग्रणी शख्सियत खो दी जिसने देश के व्यापक हित में योगदान किया है.
प्रणब ने धारिया की पत्नी शशिकला को भेजे एक शोक संदेश में कहा कि वह एक विशिष्ट सांसद और योग्य प्रशासक थे, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्र की सेवा की.
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्री के रुप में और योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रुप में राष्ट्र उनकी सेवा को हमेशा याद रखेगा.’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘समर्पित पर्यावरणविद् के रुप में और किसानों के अधिकार के चैंपियन के रुप में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान किया. उनके निधन में, राष्ट्र ने एक अग्रणी शख्सियत खो दी जिसने देश के व्यापक हित में योगदान किया.’’ अपने शोक संदेश में प्रधानमंत्री ने याद किया कि वह धारिया को कई दशक से जानते थे.
मनमोहन सिंह ने कहा, ‘‘उनका लंबा सार्वजनिक करियर निस्वार्थ सेवा का प्रेरणादायी उदाहरण है. राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में धारिया का योगदान अमूल्य है. उन्होंने हमारे देश की विकास नीतियों को गंभीरता से प्रभावित किया है. धारिया ने 88 साल की उम्र में पुणो में आज सुबह आखिरी सांस ली.
पुणे : पूर्व केंद्रीय मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी और पर्यावरणविद मोहन धारिया का गुर्दे की गंभीर बीमारी के चलते आज यहां 89 साल की उम्र में निधन हो गया. धारिया ने देश में आपातकाल लगाए जाने के खिलाफ इंदिरा गांधी सरकार से इस्तीफा दे दिया था.उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है. उनके उपचार से जुड़े एक चिकित्सक ने बताया कि उन्हें शनिवार को पूना अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनका डायलेसिस किया गया, लेकिन उनकी स्थिति गंभीर बनी रही और आज सुबह 7 बजकर 55 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली.आज शाम उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.
दिल से समाजवादी धारिया इंदिरा गांधी सरकार में 1971 से 1975 तक योजना, आवास एवं नगर विकास राज्य मंत्री रहे थे. आपातकाल के जबरदस्त आलोचक रहे धारिया अपने पद से इस्तीफा देने वाले पहले केंद्रीय मंत्री थे जो जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले आंदोलन में शामिल हो गए. आंदोलन का नतीजा इंदिरा गांधी सरकार के गिरने और केंद्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में 1977 में पहली गैर कांग्रेस सरकार बनने के रुप में निकला. पुणे से 1971 और 1977 में दो बार लोकसभा के लिए निर्वाचित होने वाले धारिया देसाई सरकार में वाणिज्य मंत्री थे. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और पूर्व उप राष्ट्रपति कृष्णकांत के साथ धारिया को 1960 के दशक में कांग्रेस पार्टी के युवा तुर्क कहकर पुकारा जाता था. जब 1991 में चंद्र शेखर प्रधानमंत्री बने तो धारिया योजना आयोग के उपाध्यक्ष थे.
धारिया 17 साल की उम्र में स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे और उन्होंने महाड तहसील पर कब्जे के लिए युवाओं के मार्च का नेतृत्व किया था. कुछ समय तक भूमिगत रहने के बाद 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ युवा धारिया ने एक ‘जन सेना’ गठित की और 1948 में जंजीरा रियासत को ‘मुक्त’ करा लिया जहां वह अस्थाई (प्रोविजनल) सरकार में विदेश मंत्री थे.बाद में उन्होंने डाककर्मियों, राज्य परिवहन, बैंकों की कई ट्रेड यूनियनों तथा अन्य कर्मियों का नेतृत्व किया. वह भारतीय राष्ट्रीय श्रम केंद्र के संस्थापक थे.
धारिया को 2005 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 1982 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया. बाद में उन्होंने ‘‘वानरई’’ संगठन का गठन किया जो संरक्षण और सामाजिक वानिकी के प्रति समर्पित था. रोचक बात यह है कि इंदिरा गांधी के धुर आलोचक होने के बावजूद सोनिया गांधी ने 2011 में धारिया को प्रतिष्ठित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से सम्मानित किया था.