अहमदाबाद: पुलिसकर्मियों द्वारा वाहनों में तोडफोड किये जाने की सीसीटीवी तस्वीरों पर संज्ञान लेते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने आज पुलिस आयुक्त को आदेश दिया कि पटेल समुदाय के आंदोलन के दौरान आतंक का माहौल पैदा करने के लिए पुलिस द्वारा हवा में गोलीबारी करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाये जाने के आरोपों के मामले में जांच कर दो हफ्ते में रिपोर्ट पेश की जाये.
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सीसीटीवी तस्वीरों में पुलिस की तोड़फोड़ की बात सामने आने के बाद अदालत ने रिपोर्ट मांगी
अहमदाबाद: पुलिसकर्मियों द्वारा वाहनों में तोडफोड किये जाने की सीसीटीवी तस्वीरों पर संज्ञान लेते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने आज पुलिस आयुक्त को आदेश दिया कि पटेल समुदाय के आंदोलन के दौरान आतंक का माहौल पैदा करने के लिए पुलिस द्वारा हवा में गोलीबारी करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाये जाने के आरोपों के मामले […]
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘सीसीटीवी फुटेज दिखाते हैं कि पुलिस निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में शामिल है. अगर पुलिस ऐसा करती है तो दंगाइयों और संरक्षकों के बीच क्या अंतर है.’’
अदालत शहर के वकील विराट पोपट और उनके साथी तीर्थ दवे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिनका आरोप था कि 25 अगस्त को करीब 40 पुलिसकर्मी उनकी हाउसिंग सोसायटी में आए और उन्होंने वाहनों में तोडफोड शुरु कर दी. याचिकाकर्ताओं ने घटना के सीसीटीवी फुटेज भी जमा किये हैं.मामले में दलीलों के दौरान अदालत ने राज्य सरकार के अधिकारियों से पूछा कि इसके लिये जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गयी.
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘इससे जनता में क्या संदेश जाएगा? शीर्ष अधिकारियों को इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए ताकि पुलिस में जनता का विश्वास मजबूत हो.’’ न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने शहर के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि जांच करें और एक पखवाडे के अंदर रिपोर्ट पेश करें.
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, गृह विभाग, पुलिस महानिदेशक, शहर पुलिस आयुक्त और सोला थाने के प्रभारी को नोटिस भी जारी किये.कथित घटना उस दिन हुयी जब मंगलवार को पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन की अगुवाई कर रहे हार्दिक पटेल की हिरासत के बाद शहर में आगजनी और हिंसा की घटनाएं हुईं.
याचिकाकर्ताओं ने कहा, ‘‘आतंक का माहौल बनाया गया. पुलिस ने बिना किसी वजह निजी सोसायटी में हवा में चार राउंड गोली चलाई और आंसूगैस के गोले भी छोडे.’’उन्होंने याचिका में मांग की है कि हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्पष्ट रुप से नागरिकों के बुनियादी और वैधानिक अधिकारों का संरक्षण करने में नाकाम रही है.
याचिका के मुताबिक पुलिसकर्मी सोसायटी में घुस आये और वाहनों में तोडफोड शुरु कर दी. उन्होंने आंसूगैस के गोले छोडने शुरु कर दिये जबकि वहां के निवासी आंदोलन में शामिल नहीं थे.याचिका में कहा गया, ‘‘घटना पुलिस द्वारा सभी नियमों की अवहेलना करते हुए अधिकारों के दुरपयोग की कहानी बयां करती है.’’
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