सुलगते गुजरात को छोड हार्दिक पटेल भविष्य की रणनीति बनाने दिल्ली पहुंचे

डिजीटल टीम हार्दिक पटेल के जातीय आरक्षण की मांग वाले आंदोलन के पहले पार्ट का भले ही अभी समापन होता नजर आ रहा हो, लेकिन इस जंग में वे दो कदम आगे बढ कर वार करने के लिए एक कदम पीछे खींचने की रणनीति पर फिलहाल काम कर रहे हैं. न तो अभी उनके तेवर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2015 12:48 PM

डिजीटल टीम

हार्दिक पटेल के जातीय आरक्षण की मांग वाले आंदोलन के पहले पार्ट का भले ही अभी समापन होता नजर आ रहा हो, लेकिन इस जंग में वे दो कदम आगे बढ कर वार करने के लिए एक कदम पीछे खींचने की रणनीति पर फिलहाल काम कर रहे हैं. न तो अभी उनके तेवर ढीले हुए हैं और न ही मूल मंशा ही खत्म हुई है. हार्दिक पटेल अब अपने आंदोलन को कहीं अधिक व्यापक स्वरूप देने की तैयारी में हैं और इसके लिए अपने गृह प्रदेश गुजरात के बाहर भी झांक रहे हैं. उनकी कोशिश पटेलों के साथ ही दूसरे जातीय समुदायों को भी इस तरह के आंदोलन में सहभागी बनाने की है. आर्दिक पटेल के अपनी जाति की सीमा से बाहर जाने की बातें उनके दीर्घकालिक कार्ययोजना का भी हल्का संकेत देते हैं कि उनका इरादा भविष्य में राजनीति में जाने का तो नहीं है! आम तौर पर ऐसे आंदोलनों में इस तरह की महत्वाकांक्षा बार-बार सामने आती रही है.
दिल्ली पहुंचे हैं हार्दिक पटेल
सुलगते गुजरात को छोड हार्दिक पटेल भविष्य की रणनीति तय करने दिल्ली पहुंचे हैं. वे वहां कुछ अहम जातीय गुटों के साथ बैठक करने वाले हैं. हार्दिक यहां पटेलों व गुर्जरों के साथ बैठक करने वाले हैं. उल्लेखनीय है कि गुर्जरों की आरक्षण की मांग सालों से जारी है जो समय-समय पर तेज हो जाती है. कुछ माह पूर्व भी उनका आंदोलन तेज हुआ था. गुर्जर आंदोलन में भी पिछले सात-आठ सालों में पांच दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है. हार्दिक दिल्ली में मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश के गुर्जर व पटेल समुदाय के नेताओं के साथ बैठक करने वाले हैं. वे दिल्ली में अपने आंदोलन के आर्थिक मदद भी जुटाने की कोशिश करेंगे. वे बिहार के सीएम नीतीश कुमार व आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू को पहले ही अपना बता चुके हैं. नीतीश कुमार ने तो उनकी मांग का भी समर्थन किया है.
आरक्षण हमें भी दो, नहीं तो किसी को मत दो
हार्दिक पटेल का सीधा सिद्धांत है कि अगर आरक्षण देना है तो हम पटेलों को भी दो नहीं तो किसी को मत दो. अंगरेजी अखबार द हिंदू से की गयी विशेष बातचीत में उन्होंने कहा है कि उनके समुदाय के लडके 80 से 90 प्रतिशत अंक लाने के बावजूद सरकारी नौकरी नहीं पा पाते हैं और दूसरे समुदाय के लडके आरक्षण के बल पर नौकरी पा लेते हैं. उन्होंने कहा कि इसी मजबूरी वश उन्हें कारोबार करना होता है. उन्होंने कहा है कि एससी व एसटी समुदाय को आरक्षण है फिर भी वे सामान्य श्रेणी से भी नौकरी पा रहे हैं.
सरदार पटेल व बाल ठाकरे रोल मॉडल
हार्दिक पटेल ने द हिंदू से बातचीत में यह भी कहा है कि वे देश की राजनीति व सिस्टम को बदलना चाहते हैं. वे कहते हैं कि मैं यहां राजनीतिक करने के लिए नहीं आया हूं, पर मैं रिमोट कंट्रोल से इसे बदलना चाहता हूं. वे सरदार पटेल व शिवसेना को अपना आदर्श बताते हैं और कहते हैं कि उन्हें अगर सरदार हार्दिक कहा जाये तो खुशी होगी.
सीएम आनंदीबेन पर निशाना
हार्दिक पटेल के सीधे निशाने पर मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल हैं. कहते हैं कि वे कुर्सी पर जरूर है, पर उनके पास पॉवर नहीं है. पॉवर तो किसी और के हाथ में है. वे यह भी कहते हैं कि हिंसा के लिए पुलिस जिम्मेवार है. वे कहते हैं कि हमारे आंदोलन को 70 लाख लोगों का समर्थन मिला. लोगों ने अपने बैंक खाते से पैसे निकाल कर दिये व दूध, सब्जियां व अन्य सामग्री दी. वे पटेल एनआरआइ से पैसे मिलने से भी इनकार करते हैं.
12 सदस्यों की सोशल मीडिया टीम
हार्दिक पटेल जानते हैं कि मौजूदा दौर में आंदोलन को कैसे गति दी जानी है और कैसे खुद को चर्चा में बनाये रखना है. वे इस मामले में सोशल मीडिया का शानदार उपयोग करने वाले दो नेताओं नरेंद्र मोदी व अरविंद केजरीवाल से प्रेरित नजर आते हैं. उनकी 12 सदस्यीय सोशल मीडिया टीम है, जो उनके काम का प्रबंधन करती है. इसी टीम ने आंदोलन के दौरान 20 लाख मैसेज ट्विटर, वाट्सएप व फेसबुक से भेजे. हार्दिक पटेल कहते हैं कि जो पटेलों व गुर्जरों के हित की बात करेगा वही हम पर रात करेगा.

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