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कर्नाटक सरकार ने कन्नड़ प्रोफेसर कलबुर्गी की हत्या की जांच सीबीआइ को सौंपी

धारवाड़ :कर्नाटक सरकार ने जानेमाने कन्नड़ विद्वान एवं शोधकर्ता एम एम कलबुर्गी की हत्या की जांच को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है. गौरतलब है कि आज सुबह कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उनकी हत्या पर शोक जताया था और कहा था कि इस हत्याकांड की जांच सीआईडी को सौंपी जा सकती है. लेकिन […]

धारवाड़ :कर्नाटक सरकार ने जानेमाने कन्नड़ विद्वान एवं शोधकर्ता एम एम कलबुर्गी की हत्या की जांच को सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है. गौरतलब है कि आज सुबह कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उनकी हत्या पर शोक जताया था और कहा था कि इस हत्याकांड की जांच सीआईडी को सौंपी जा सकती है. लेकिन शाम में भारी जनदबाब के बीच सरकार ने हत्या की जांच सीबीआइ से करवाने का निर्णय लिया .

इससे पहले आज उनकी शवयात्रा के दौरान लोग उनके हत्यारों को सजा दिलाने का श्लोगन गा रहे थे. कनार्टक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने उनकी हत्या पर शोक जताया और कहा कि उन्होंने देश और प्रदेश को काफी कुछ दिया.

गौरतलब है कि कलबुर्गी को उनके स्थानीय आवास पर कल दो अज्ञात लोगों ने काफी करीब से गोली मार दी थी, जिससे उनकी मौत हो गयी. कलबुर्गी मूर्ति पूजा सहित विभिन्न मुद्दों पर अपने बेबाक बयानों से अक्सर विवाद पैदा कर देते थे. हुबली-धारवाड सिटी के पुलिस आयुक्त रविंद्र प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा कि दो लोग एक दो पहिया वाहन पर आये और कलबुर्गी के घर का दरवाजा खटखटाया. जैसे ही दरवाजा खोला गया, उन्होंने कलबुर्गी के सिर और छाती में दो गोली मारी और इसके बाद हमलावर फरार हो गये.

हम्पी कन्नड यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके 77 साल के कलबुर्गी को सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने तुरंत दम तोड़ दिया. कलबुर्गी की हत्या ने कन्नड़ साहित्यिक जगत को झकझोर कर रख दिया है. प्रसाद ने कहा कि विशेष टीम बनायी गयी है और दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. फॉरेंसिक एवं प्रिंगर प्रिंट विशेषज्ञों को भी बुलाया गया है.

यह पूछे जाने पर कि हत्या के पीछे क्या कोई ‘निजी या अन्य कारण’है, इस पर पुलिस आयुक्त ने कहा कि जांच से ही असल मकसद का खुलासा होगा. केंद्रीय एवं राज्य साहित्य अकादमी पुरस्कारों के विजेता रह चुके कलबुर्गी मूर्ति पूजा के विरोधी थे. इसके अलावा, वह विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय से विवाद पैदा कर देते थे. उन्होंने एक बेहतर राज्यगान की भी वकालत की थी.

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