AAP की सफाई : कपिल मिश्रा की पद से छुट्टी शीला पर कार्रवाई का परिणाम नहीं
नयी दिल्ली : दिल्ली के अरविंद केजरीवाल सरकार ने छह महीने के अंदर तीसरी बार अपना कानून मंत्री बदला है. कल मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा लिये गये एक फैसले में कपिल मिश्रा को कानून मंत्री के पद से हटा कर उनकी जगह इस मंत्रालय का प्रभात सीएम ने अपने भरोसमंद व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को […]
नयी दिल्ली : दिल्ली के अरविंद केजरीवाल सरकार ने छह महीने के अंदर तीसरी बार अपना कानून मंत्री बदला है. कल मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा लिये गये एक फैसले में कपिल मिश्रा को कानून मंत्री के पद से हटा कर उनकी जगह इस मंत्रालय का प्रभात सीएम ने अपने भरोसमंद व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को दे दिया. जब मीडिया में इस आशय की खबरें आयीं कि पूर्व सीएम व कांग्रेस नेता शीला दीक्षित पर कपिल मिश्रा द्वारा कार्रवाई की सफारिश करने के कारण मिश्रा को पद से हटाया गया, तो आम आदमी पार्टी ने सूत्रों के हवाले से कहलवाया कि कपिल को पद से हटाने का संबंध शीला दीक्षित से नहीं जुडा है.
उधर, मुख्य विपक्षी भाजपा इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर हमलावर है. भाजपा नेता रमेश बिधुडी ने कहा कि कपिल को पद से हटाने से साबित हो गया कि आम आदमी पार्टी व कांग्रेस एक है. उन्होंने कहा बिहार में नीतीश कुमार का मित्र दल कांग्रेस है और नीतीश के मंच पर ही केजरीवाल भी सवार हैं. ये सब एक साथ हैं और शीला दीक्षित के लिए कार्रवाई की सिफारिश किये जाने के कारण ही केजरीवाल ने कपिल मिश्रा को पद से हटाया.
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक कपिल मिश्रा ने 28 अगस्त को ही सीएम केजरीवाल को पत्र लिख कर यह आशंका जाहिर की थी कि उन्हें पद से हटाया जा सकता है. 28 अगस्त के अपने पत्र में कपिल मिश्रा ने लिखा था कि शीला दीक्षित पर उनके द्वारा एफआइआर दर्ज करने की सिफारिश पर उनकी कुर्सी जा सकती है. दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक महागंठबंधन बना है, जिसमें कांग्रेस व राष्ट्रीय जनता दल शामिल हैं. शीला दीक्षित कांग्रेस की कद्दावर नेता हैं. बिहार के महागंठबंधन में भले ही केजरीवाल से शामिल नहीं हों, लेकिन उनकी नीतीश कुमार से नजदीकियां हैं और उनका एक तरह का अप्रत्यक्ष चुनावी समर्थन उन्हें हासिल है.