पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चीन का भारी निवेश : सिर्फ मदद या निशाने पर है भारत?
एक ओर चीन ने जहां द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान पर जीत का जश्न मनाते हुए खुले आम अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, वहीं वह एशिया में अपनी सक्रियता बढाते हुए सामरिक हितों को लगातार मजबूत कर रहा है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तियानमेन स्कावेयर पर अपनी मिलिट्री के कार्यक्रम में शामिल होकर […]
एक ओर चीन ने जहां द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान पर जीत का जश्न मनाते हुए खुले आम अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, वहीं वह एशिया में अपनी सक्रियता बढाते हुए सामरिक हितों को लगातार मजबूत कर रहा है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तियानमेन स्कावेयर पर अपनी मिलिट्री के कार्यक्रम में शामिल होकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है, वहीं वह भारत के ईद-गिर्द अपनी घेराबंदी मजबूत करने की लगातार कोशिश कर रहा है.अंगरेजी अखबार द हिंदू ने आज एक एक्सक्लूसिव खबर छाप कर यह खुलासा किया है कि चीन किस तरह पीओके यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अपनी उपस्थिति बढा रहा है और बडी मात्रा में निर्माण कार्य कर रहा है.
चीन पूर्व में जहां 1300 किलोमीटर लंबागिलगितसे बालतिस्तान तक काराकोरम हाइवे बना रहा था, वहीं अब वह वहां पॉवर प्रोजेक्ट व अन्य प्रकार का निर्माण कार्य कर रहा है. कोई भी शख्स जो इस्लामाबाद से मुजफ्फराबाद की यात्रा करेगा, वह इस इलाके में चीन की उपस्थिति को सहज देख सकता है. इस इलाके में केसरिया रंग के तंबू व मंदारिन भाषा (चीन की भाषा) बोलते ड्राइवर व उसी भाषा में लगे साइन बोर्ड की खासी मौजूदगी महसूस की जा सकती है.
ध्यान रहे कि पिछले दिनों जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पाकिस्तान के दौर पर गये थे, तो उन्होंने अपनी इस यात्रा को भाई के घर में आना बताया था और बडी मात्रा में निवेश की घोषणा की थी.
पाकिस्तान ने पीओके को विदेशी निवेश के लिए 2005 में तब खोला जब वहां आये भयावह भूकंप से 80 हजार लोगों की जान चली गयी और बडी मात्रा में आधारभूत संरचना व संपत्ति को नुकसान हुआ.
हालांकि पाकिस्तान में कई दूसरे देशों ने भी स्कूल, मेडिकल कॉलेज, पॉवर प्रोजेक्ट व अन्य आवश्यक संरचनाएं बनवायी है, लेकिन उन सबमें चीन की मौजूदगी सर्वाधिक है. चीन वहां वैसी आधारभूत संरचनाओं पर फोकस कर रहा है, जो सामरिक दृष्टि से भी अहम हैं. जैसे, वह वहां बडे हाइवे, पॉवर प्रोजेक्ट बना रहा है. इसमें वह पाकिस्तान के वाटर एंड पॉवर डेवलपमेंट ऑथोरिटी से सहभागिता कर रहा है.
उदाहरण के लिए चीन वहां 278.88 बिलियन रुपये की लागत वाले नीलम-झेलम हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जिससे 969 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. इससे न सिर्फ पीओके में बल्कि इस्लामाबाद की भी बिजली से जुडी दिक्कतें दूर होंगी.
इसी तरह सबसे बडे पॉवर प्रोजेक्ट कोहला प्रोजेक्ट का निर्माण भी वहां 2020 तक हो जाने की संभावना है, जिससे 1100 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. पाकिस्तान का लक्ष्य है कि वह पीओके में 2569 मेगावाट बिजली का उत्पादन करे. इसके अलावा 15 छोटे पॉवर प्रोजेक्ट का भी निर्माण कार्य वहां चल रहा है.
3000 चीनी श्रमिक कार्यरत
द हिंदू अखबार को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, जिसे पाकिस्तान में आजाद कश्मीर कहा जाता है के पूर्व प्रधानमंत्री राजा फारुख हैदर ने बताया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लगभग 3000 चीनी श्रमिक कार्य कर रहे हैं और जब यहां के तीन बडे पॉवर प्रोजेक्ट पूरा हो जायेंगे तब बडी मात्रा में राजस्व भी आयेगा. हैदर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में विपक्ष के नेता हैं. उन्होंने द हिंदू अखबार से कहा है कि चीनी श्रमिक यहां दुभाषिये की मदद लेते हैं, वे हमारे बाजार में आते हैं, लेकिन स्थानीय लोगों से घुलने-मिलने से परहेज करते हैं. हैदर पाकिस्तान मुसलिम लीग (नवाज) गुट के वरिष्ठ नेता हैं. वे वहां अगले चुनाव में भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं. पॉवर प्रोजक्ट के पूरे होने पर वे पाकिस्तान से भविष्य में रेवन्यू शेयर पर भी बातचीत करने की चाह रखते हैं.
चीन के द्वारा निर्माण किये जा रहे काराकोरम हाइवे गिलगित से बालतिस्तान तक जायेगा, जो पूर्व में जम्मू कश्मीर का हिस्सा हुआ करता था. साथ ही चीन पीओके में जगलोत-सकरदू रोड को भी 20 मीटर चौडा कर रहा है, ताकि इस पर ट्रैफिक को बढाया जा सके.
चीनी वर्कर के अलावा दूसरे देशों के भी लगभग एक हजार श्रमिक यहां काम कर रहे हैं. सउदी अरब यहां विश्वविद्यालय निर्माण में मदद कर रहा है. कुवैत यहां आधारभूत संरचना के लिए काम कर रहा है, तो तुर्की कार्यालय बना रहा है.
बहरहाल, चीन के निवेश पर पर पाकिस्तान की राजनीतिक बिरादरी गर्व करती है. जैसा कि वहां के मुसलिम लीग(क्यू) के एक नेता मुसाहिद हुसैन ने हिंदू अखबार से कहा है : चीन हमारा हर परिस्थिति में मित्र है. वह वैसे दोस्तों में नहीं जो हमारा उपयोग अच्छे दिनों में बस एक गर्लफ्रेंड की तरह करता है.
नोट : इस खबर के ज्यादातर अंश द हिंदू अखबार से साभार लिये गये हैं, जिसे आवश्यकतानुरूप भारतीय परिप्रेक्ष्य में रूपांतरित किया गया है.