शीना बोरा की डायरी में बड़ा खुलासा, मां इंद्राणी से करती थी नफरत, बोलती थी ”डायन”
मुंबई : शीना बोरा, यह नाम है उस बदकिस्मत लड़की का, जिसे बचपन में ही उसके माता-पिता ने त्याग दिया और उसके जीवन का अंत यह हुआ कि अपनी मां ने उसकी हत्या कर दी. शीना बोरा हत्याकांड के जितने खुलासे हो रहे हैं, वह ना सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बलि्क यह सवाल भी खड़े […]
मुंबई : शीना बोरा, यह नाम है उस बदकिस्मत लड़की का, जिसे बचपन में ही उसके माता-पिता ने त्याग दिया और उसके जीवन का अंत यह हुआ कि अपनी मां ने उसकी हत्या कर दी. शीना बोरा हत्याकांड के जितने खुलासे हो रहे हैं, वह ना सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बलि्क यह सवाल भी खड़े करते हैं, क्या कोई मां अपनी बेटी के साथ ऐसा कर सकती है. शीना की जिंदगी कितनी भयावह थी इसका अंदाजा उसकी डायरी पढ़ने से होता है. डीएनए डॉटकॉम में प्रकाशित लेख में उस डायरी के कुछ अंश प्रकाशित किये गये हैं. हम भी आपके लिए उस डायरी के कुछ अंश यहां प्रस्तुत कर रहे हैं.
शीना ने अपनी डायरी में अपना दर्द बयां किया है. किशोरावस्था में शीना अपने अभिभावकों के प्रेम और संरक्षण के लिए काफी तरसी थी. इस डायरी में शीना का इंद्राणी के प्रति प्रेम और और नफरत दोनों दोनों नजर आता है. शीना की इस डायरी में उसके दोस्तों के नंबर, शिक्षा संबंधित नोट्स और पिता के नाम चिट्ठी भी है. शीना की डायरी में इस बात का जिक्र है कि वह अपने जैविक पिता की कमी महसूस करती थी. साथ ही उसने चिट्ठी लिखकर सिद्धार्थ को अपने पास बुलाया. शीना की डायरी में जिन बातों का जिक्र है वह सिद्धार्थ दास से उन बयानों के विपरीत है, जो उन्होंने मीडिया में दिये हैं.
शीना ने सिद्धार्थ दास को चिट्ठी लिखी है, जिसमें उसने इस बात का जिक्र किया है कि वह उससे बहुत नाराज है. शीना लिखती है, डैडी मैं आपसे बहुत नाराज हूं. मैं दसवीं कक्षा में हूं इसलिए मेरे पास आपको चिट्ठी लिखने का वक्त नहीं होता है. लेकिन आप तो मुझे पत्र लिख सकते हैं. मैं सुबह 7.30 पर स्कूल जाती हूं, फिर कोचिंग और पढ़ाई के बाद रात 8.30 तक घर आती हूं. सोचे मैं कितनी मेहनत कर रही हूं. ऐसे में मेरे पास पत्र लिखने का वक्त नहीं होता है.
वर्ष 2003 से शीना ने डायरी लिखना शुरू किया. शीना ने पिता के नाम जो पत्र लिखे हैं, उससे यह साफ होता है कि उसे अपने पिता से बहुत सारी उम्मीदें थीं. वह अपने पिता के नाम पत्र पहले डायरी में लिखती थी और बाद में उसे पोस्ट करती थी.
शीना लिखती है, डैडी मैंने आपके कहने पर अपने नाखून काट लिये हैं. मैं आपकी सलाह अनुसार अपनी पढ़ाई पर पहले ध्यान दे रही हूं, बशर्ते स्टाइल के. डैडी आप मेरी परीक्षा से पहले एक बार गुवाहाटी आने का प्रोग्राम क्यों नहीं बनाते हैं. यहां आकर आप मुझसे मिलें और वह सारी बातें कहें, जो आप कहना चाहते हैं.
एक अन्य पत्र में शीना ने सिद्धार्थ से पूछा है कि आप किस जाति के हैं. शीना ने लिखा है दसवीं के परीक्षा फॉर्म में मुझसे मेरी कैटेगरी पूछी जा रही है, लेकिन मुझे पता नहीं कि मैं किस कैटेगरी से हूं. एससी, एसटी, ओबीसी या जेनरल.
शीना की डायरी में लिखे पत्र यह साबित करते हैं कि वह अपने पिता के संपर्क में थी. शीना की एक सहपाठी ने बताया कि वह वर्ष 2001 में जब शीना आठवीं में थी, उसके पिता सिद्धार्थ दास से उनके घर पर मिली थी. शीना ने उसे अपने पिता से मिलवाया था.
शीना ने एक जगह पर यह भी लिखा है कि उसके नाना-नानी उसके पिता सिद्धार्थ दास को पसंद नहीं करते थे. वे यह नहीं चाहते थे कि मैं अपने पापा से बात करूं. उनका कहना था कि डैडी अच्छे आदमी नहीं हैं, लेकिन मुझे इन बातों पर भरोसा नहीं था.
शीना बोरा की डायरी से उसका अपने पिता सिद्धार्थ दास से तो लगाव दिखता है, लेकिन मां के बारे में उसने ज्यादा नहीं लिखा है. शीना लिखती है, मैं अपनी मां के बारे में ज्यादा नहीं जानती. मुझे यह भी पता नहीं कि वह हमें याद भी करती है कि नहीं. लेकिन चूंकि वह मेरी मां है, इसलिए मेरे दिल के एक कोने में उसके लिए जगह है. शीना ने इंद्राणी मुखर्जी से संबंधित खबरों की पेपर कटिंग अपने पास रखी थी.
शीना की डायरी से यह पता चलता है कि उसका बचपन बहुत अकेला था. वह एक जगह पर लिखती है. ओह, हैप्पी बर्थडे टू मी. लेकिन मैं खुश नहीं हूं. ऐसा लगता है कि मेरे जीवन में कुछ भी नहीं है. मेरा भविष्य अंधकारमय है. मैं अपनी मां से नफरत करती हूं . वह मां नहीं है…डायन है.
पीटर मुखर्जी और इंद्राणी की शादी से भी शीना खुश नहीं थी. उसने लिखा है , उसने एक बूढ़े आदमी से शादी कर ली. यह मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा.नाना-नानी उसके इस निर्णय से खुश हैं, लेकिन मुझे यह बिलकुल पसंद नहीं है. उसे नरक में भी जगह नहीं मिलेगी.