नयी दिल्ली : वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) पर आज भी गतिरोध बने रहने के बीच आंदोलनरत पूर्व सैनिकों ने सरकार पर लगातार गोलपोस्ट बदलते रहने और इस मुद्दे के समाधान के लिए कोई ठोस प्रस्ताव के साथ नहीं आने का आरोप लगाया है. पूर्व सैनिकों का आरोप है कि सरकार के कुछ लोग योजना को लागू करने के संबंध में इसके वित्तीय प्रभावों के बारे में भ्रमित करने वाले आंकडे दे रहे हैं.
यह पूछे जाने पर कि अगर सरकार ने ओआरओपी की एकतरफा तरीके से अपनी शर्तो के अनुरुप घोषणा कर दी तब क्या होगा, पूर्व सैनिकों के संयुक्त मोर्चा के मीडिया सलाहकार अनिल कौल ने कहा, ‘‘ अगर यह ओआरओपी की उस परिभाषा के अनुरुप नहीं हुआ जिस पर सहमति बनी है, तब हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.” जल्द ही विधानसभा चुनाव का सामना करने जा रहे बिहार में आंदोलनरत पूर्व सैनिकों की विरोध रैली के बारे में पूछे जाने पर भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन के महासचिव कैप्टन वी के गांधी (सेवानिवृत) ने कहा, ‘‘ हम कोई राजनीतिक रुख नहीं अख्तियार कर रहे हैं.
लेकिन जनता से कहेंगे कि वे उस पार्टी को वोट दें जो उनके वायदों को पूरा करे.” पिछले 81 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों ने कहा कि सरकार ने उनसे बात करने के लिए सात मध्यस्त भेजे लेकिन सभी ‘‘भिन्न रियायतें” को लेकर उनके पास आये.