मुंबई : शीना बोरा की सनसनीखेज हत्या मामले में सभी तीनों आरोपियों की पुलिस हिरासत कल खत्म होने वाली है और उससे पहले जांचकर्ता इस की गुत्थियां सुलझाने के लिए सभी दिशा से काम कर रहे हैं. जांचकर्ताओं ने कहा कि वह यह निर्धारित करना चाहते हैं कि कथित षड्यंत्रकारियों ने शीना का शव फेंकने के लिए रायगढ जिले के एक खास स्थल को ही क्यों चुना. एक स्थानीय अदालत ने स्टार टीवी के पूर्व सीईओ की पत्नी इंद्राणी मुखर्जी, इंद्राणी के पूर्व पति संजीव खन्ना और उनके पूर्व ड्राइवर श्यामवर राय की पुलिस हिरासत सात सितंबर तक बढा दी थी.
आरोपियों की हिरासत की अवधि में इजाफा के लिए अदालत से आग्रह करते हुए विशेष लोक अभियोजक वैभव बगाडे ने कल कहा था, ‘‘भले ही यह फिल्मी लगे, लेकिन हमारे लिए यह जानना जरुरी है कि शव फेंकने के लिए इस खास जगह को क्यों चुना गया था।” पुलिस ने अदालत को बताया था कि इंद्राणी जांचकर्ताओं के साथ सहयोग नहीं कर रही हैं और उससे ‘‘बात उगलवाना कठिन” है. गुरुवार को पुलिस ने दावा किया था कि इंद्राणी ने शीना की हत्या करने की बात कबूल कर ली है. इंद्राणी को कल दोपहर अदालत में पेश किया गया था. वह समूची सुनवाई के दौरान शांत रहीं.
पुलिस ने भीड को अदालत कक्ष से दूर रखने के लिए बैरीकेड बनाया था. बगाडे ने कहा था, ‘‘जांच का दायरा बडा है और आरोपी से कुछ उगलवाना मुश्किल है. उन्होंने कत्ल की साजिश रचने के लिए ईमेल और इंटरनेट जैसे आधुनिक माध्यमों का उपयोग किया है. जांच में प्रगति पहले से रिकार्ड में पेश है और पुलिस ने एक दिन भी बर्बाद नहीं किया है. ” गिरफ्तारी के 12 दिन बाद आखिरकार इंद्राणी के पूर्व चालक श्यामवर राय ने कल अपने लिये एक वकील की सेवायें लीं. पिछली सुनवाइयों में उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई वकील नहीं था.
इंद्राणी के वकील गुंजन मंगला ने न्यायाधीश एसएम चांदगडे के समक्ष आरोप लगाया था कि पुलिस ‘‘मीडिया ट्रायल” करने की कोशिश कर रही है. मंगला ने कहा, ‘‘पुलिस आरोपी से बयान लेने की कोशिश कर रही है. वे समूची चीजों को उलट-पुलट रहे हैं.” इस बीच, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त जुलियो रिबेरो ने मामले की मीडिया कवरेज की आलोचना की और बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि जिस तरह मीडिया इस मामले का कवरेज कर रहा है उसके मद्देनजर वह सभी टीवी चैनलों को नोटिस जारी करे.
रिबेरो ने कहा, ‘‘न्याय की प्रक्रिया का निर्धारण जांचकर्ता, अभियोजक और न्यायाधीश करें। चैनल पुलिस, अभियोजक और न्यायाधीशों की भूमिका अपना रहे हैं. यह न्याय को विकृत करना है. मामले का निबटारा चैनलों से नहीं किया जा सकता। न्यायोचित सुनवाई होनी चाहिए.”