बेंगलुरु : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रविवार को कहा कि वन रैंक वन पेंशन स्कीम के कार्यान्वयन से जुडे कुछ छोटे मुद्दे हो सकते हैं जो समय के साथ अपने आप सुलझ जाएंगे. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फरीदाबाद में इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण के बाद अनशन पर बैठे पूर्व सैनिकों में खुशी की लहर फैल गयी और उन्होंने अपनी भूख हड़ताल कल खत्म कर दी हालांकि उन्होंने कहा है कि कुछ मुद्दों पर उनका विरोध जारी रहेगा.
मनोहर पर्रिकर ने संवाददाताओं से कहा कि ओआरओपी को सैद्धांतिक रुप से स्वीकार कर लिया गया है. आर्थिक आवश्यकताओं की भी पूर्ति कर ली गई है. कुछ छोटे मुद्दे शायद रह गए हैं, वे समय रहते अपने आप सुलझ जाएंगे. पर्रिकर ने कहा कि अधिकतर मुद्दों का समाधान कर लिया गया है क्या आपने कभी 100 प्रतिशत मांगों को पूरा होते देखा है जो सभी को संतुष्ट करें? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि सरकार द्वारा ओआरओपी की घोषणा की गई उसके तहत समय से पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले जवानों को भी इसका फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री के इस बयान का पूर्व सैनिकों ने स्वागत करते हुए भूख हडताल को वापस ले लिया लेकिन कहा कि जब तक सभी मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता तब तक उनका विरोध जारी रहेगा.
विरोध प्रदर्शन कर रहे एसोसिएशन के नेता मेजर जनरल :सेवानिवृत्त: सतबीर सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिकों द्वारा उठाए गए उन चार मुद्दों के समाधान तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा जिन्हें सरकार ने स्वीकार नहीं किया. इनमें से एक मुद्दा पेंशन की हर दो साल में समीक्षा करना है जिसे सरकार ने हर पांच साल में करने का ऐलान किया है. इस बीच संसदीय मामलों के मंत्री एम वैंकेया नायडू ने कहा कि ओआरओपी के मुद्दे पर कंेद्र सरकार की आलोचना करने का कांग्रेस का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.
उन्होंने यह बात पूर्व रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी के इस बयान पर कही जिसमें एंटनी ने केंद्र सरकार पर पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की ओआरओपी योजना को कमजोर करने का आरोप लगाया था. नायडू ने कहा कि रक्षा मंत्री के तौर पर एंटनी ने सिवाय चुनावोंे के दौरान घोषणा करने के ओआरओपी को लागू करने के लिए कुछ नहीं किया. नायडू ने कांग्रेस द्वारा ओआरओपी की गंभीरता को न समझने की निंदा करते हुए कहा कि जब उन्होंने ओआरओपी का प्रस्ताव किया था तो इसका बजट 5000 करोड रुपये था जो अब मोदी सरकार ने बढाकर आठ से 10,000 करोड रुपये कर दिया है.
नायडू ने कहा कि सरकार जवानों के बकाए को चार किश्तों में और शहीदों की विधवाओं के बकाए को एक बार में देगी. नायडू ने विरोध कर रहे पूर्व सैनिकों से भी अपील की वह मुद्दों को सुलझाने के लिए सरकार के साथ वार्ता करें. औरंगजेब रोड का नाम अब्दुल कलाम रोड किए जाने के मुद्दे पर नायडू ने कहा कि इस नाम परिवर्तन में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है क्योंकि यह निर्णय नई दिल्ली नगरपालिका परिषद द्वारा लिया गया है और इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वीकृति दी है. नायडू ने विपक्ष, खास कर कांग्रेस से संसद के बढे हुए सत्र में कामकाज चलने देने का, विशेष तौर पर जीएसटी विधेयक पारित करने के लिए गतिरोध न पैदा करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा ‘‘विपक्ष, मुख्य से कांग्रेस को बढे हुए संसद सत्र में कामकाज होने देना चाहिए और जीएसटी विधेयक को पारित करने के लिए सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए.
आखिरकार, यह उनका प्रस्ताव है. उन्हें इसका विरोध करने का हक है लेकिन संसद को कामकाज करने से रोकने का नहीं।” नायडू ने कहा कि कांग्रेस शायद सोचती होगी कि वे संसद में गतिरोध पैदा कर मोदी को नुकसान पहुंचाएंगी.‘‘लेकिन वह देश के हितों को नुकसान पहुंचा रही है.” कांग्रेस के इस आरोप पर कि मोदी और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी आरएसएस के साथ विचारविमर्शों में असंवैधानिक तरीके से हिस्सा लेते हैं, नायडू ने कहा ‘‘क्या कोई कह सकता है कि बच्चों का मां के पास जाना असंवैधानिक है. आरएसएस कई स्वयंसेवकों की मां है.” उन्होने कहा कि आरएसएस भाजपा के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता और केंद्र भाजपा के घोषणापत्र पर चलेगा तथा राजग के साझा न्यूनतम कार्यक्रम से उसे मार्गदर्शन मिलेगा.