नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रिलायंस इंडस्टरीज प्रमुख मुकेश अंबानी व टाटा समूह के चेयरमैन साइरस मिस्त्री सहित उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों, बैंकरों व अर्थशास्त्रियों के साथ मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर चर्चाकर रहे हैं. यह चर्चा प्रधानमंत्री आवास सात आरसीआर पर हो रही है.
प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि कैबिनेट मंत्रियों, सरकार और रिजर्व बैंक के शीर्ष अधिकारियों, प्रमुख बैंकरों, जाने माने अर्थशास्त्री और अलग अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों सहित 40 से अधिक प्रतिनिधि इस बैठक में भाग लेंगे. इस उच्चस्तरीय बैठक का एजेंडा ‘‘हाल के वैश्विक घटनाक्रम : भारत के लिये संभावनायें’’ है, जिसमें रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन और नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया भी उपस्थित होंगे. यह बैठक चीन की अर्थव्यवस्था में आ रही नरमी से वैश्विक बाजारों में जारी उठापटक के बीच हो रही है. चीन की मुद्रा युआन के अवमूल्यन और अमेरिका में संभावित ब्याज दर वृद्धि भी विश्व बाजारों में घटबढ का कारण बनी हुई है.
सूत्रों ने बताया कि 27 उद्योगपतियों, बैंकरों व अर्थशास्त्रियों को इस बैठक में चर्चा के बुलाया गया है. बैठक में वैश्विक अर्थव्यवस्था में हाल की घटनाओं तथा इनसे भारत के लिए पैदा अवसरों पर विचार विमर्श किया जाएगा. बैठक में, भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील भारती मित्तल, एस्सार समूह के प्रमुख शशि रुइया, रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी, अडाणी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडाणी, आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर व एसबीआई की चेयरपर्सन अरंधति भट्टाचार्य को भी आमंत्रित किया गया है. महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा, आदित्य बिडला समूह के प्रमुख कुमार मंगलम बिडला, सीआईआई के प्रमुख सुमित मजूमदार, फिक्की की प्रमुख ज्योत्सना सूरी व एसोचैम के प्रमुख राणा कपूर को भी बैठक में आमंत्रित किया गया है.
सरकार की ओर से वित्त सचिव रतन पी वाटल, वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन बैठक में उपस्थित रहेंगे. सूत्रों के अनुसार प्रत्येक वक्ता को शुरआती टिप्पणी के लिए तीन मिनट का समय दिया जाएगा. प्रधानमंत्री कार्यालय के वक्तव्य के अनुसार, हाल के वैश्विक आर्थिक घटनाक्रमों के प्रभाव और इसका भारत किस प्रकार बेहतर फायदा उठा सकता है इस मुद्दे पर व्यापक विचार विमर्श होने की उम्मीद है. उल्लेखनीय है कि मोदी ने इससे पहले 30 जून को उद्योग मंडलों से मुलाकात की थी. सरकार ने इससे पहले कहा था कि भारत को इस वैश्विक उठापटक का फायदा उठाना चाहिये और इस स्थिति को किस प्रकार अवसरों में बदला जा सकता है इस पर गौर करना चाहिये. सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान मोदी सभी पक्षों की इस मुद्दे पर राय जानेंगे कि भारत किस प्रकार चीन से आगे निकलकर वैश्विक आर्थिक वृद्धि में अग्रणी भूमिका में पहुंच सकता है. इससे पहले 30 जून को प्रधानमंत्री ने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ अपनी पहली बैठक में महंगे कर्ज और कारोबार करने में परेशानी दूर करने संबंधी उनकी शिकायतें सुनीं थी। उद्योग प्रतिनिधियों ने कराधान नीतियों में अनिश्चतताओं से मुक्त बनाने पर भी जोर दिया.
सूत्रों के अनुसार कल होने वाली बैठक में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का मुद्दा भी उठ सकता है. सरकार ने गत अगस्त में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को समाप्त होने दिया। उसकी अवधि आगे नहीं बढाई. जीएसटी में संसद में बने गतिरोध का मुद्दा भी चर्चा में उठा सकता है. इसके अलावा उद्योग व्यवसाय में सुगमता पर भी चर्चा हो सकती है. पिछली बार प्रधानमंत्री की सीआईआई, फिक्की तथा अन्य उद्योग मंडल प्रतिनिधियों के साथ अलग से बैठक हुई। इसमें कर्ज महंगा होने की वजह से निवेश गतिविधियां नहीं बढने, रिण उठाव कमजोर रहने और लघु एवं मध्यम उद्यम के समक्ष कारोबार चलाने में आ रही समस्याओं को रखा गया था.