10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में नरेंद्र मोदी ने दिया संकेत, शानदार हिंदी जानने के कारण प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे
भोपाल :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भोपाल में दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिंदी की ताकत बतायी. उन्होंने कहा कि अगर मैं अच्छी हिंदी नहीं जानता को मेरा क्या होता. उन्होंने कहा कि यह सोच कर भी मैं सिहर जाता हूं. गौरतलब है कि किसी राजनेता को शीर्ष पर पहुंचाने में उसकी […]
भोपाल :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भोपाल में दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिंदी की ताकत बतायी. उन्होंने कहा कि अगर मैं अच्छी हिंदी नहीं जानता को मेरा क्या होता. उन्होंने कहा कि यह सोच कर भी मैं सिहर जाता हूं. गौरतलब है कि किसी राजनेता को शीर्ष पर पहुंचाने में उसकी शानदार वक्तृत्व शैली और उस देश की सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा पर शानदार पकड अहम होती है. पंडित नेहरू हों या इंदिरा गांधी या फिर अटल बिहारी वाजपेयी, वे लोग हिंदी में अपने शानदार भाषणों के कारण ही जनता के दिलों पर राज करने में कामयाब हो सके. प्रधानमंत्री ने यह बात खुल कर तो आज नहीं बोली, लेकिन उनका इशारा इसी ओर था कि हिंदी ने उन्हें जननेता बनाया.
लुप्त हो रही भाषाओं को बचाना जरूरी
भोपाल में विश्व हिंदी सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भाषा के लुप्त हो जाने के बाद उसके महत्व का पता चलता है. उन्होंने कहा कि आज हम पौराणिक भाषाओं के रहस्य को सुलझाने में लगे हैं. अगर वह भाषा लुप्त ही नहीं हुई होती तो दुनिया को काफी ज्ञान मिलता. उन्होंने कहा कि आने वाली पीढी के लिए भाषा का संरक्षण जरूरी है. एक पीढी से दूसरे पीढी में इसका संक्रमण करना होगा. उन्होंने आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी और कहा किमुझेपता है हिंदी के बिना मैं यहां नहीं होता.
गैर हिंदी भाषियों ने हिंदी के उत्थान के लिए किया काम
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरी मातृभाषा गुजराती है, लेकिन अगर मुझे हिंदी नहीं आती तो मैं आज कहां होता. उन्होंने कहा कि जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं थी उन्होंने ही हिंदी के उत्थान के लिए काफी काम किया है. उन्होंने महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस सहित उन सभी लोगों को याद किया जिन्होंने हिंदी के उत्थान के लिए काम किया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वजों ने भाषा और ज्ञान को आने वाली पीढी में संक्रमित करने के लिए वेद पाठकों की व्यवस्था रखी थी. वेद पाठक ज्ञान को एक पीढी से दूसरे पीढी तक पहुंचाने का काम करते थे. संस्कृत में इतनी ज्ञान की बातें है, लेकिन हमारे यहां संस्कृत जानने वाले काफी कम बचे हैं. विरासत को बचाना नयी पीढी का दायित्व है.
वर्कशॉप से हिंदी को दूसरी भारतीय भाषाओं से जोडें
उन्होंने कहा कि पेड़-पौधों के तरह भाषा का संरक्षण भी आवश्यक है. उन्होंने कहा कि तमाम स्थानीय भाषाओं के साथ हिंदी को समाहित कर इसे बचाने का प्रयास होना चाहिए. वर्कशॉप के माध्यम से हिंदी को दूसरी भाषाओं के साथ जोड़ना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं शुरू से हिंदी भाषा नहीं जानता था. लेकिन ट्रेन में विभिन्न भाषियों को चाय बेचते-बेचते मैंने हिंदी सीखी. उन्होंने कहा कि भाषा की चेतना को कम नहीं आंका जाना चाहिए. सरकार भाषा के उत्थान के हिए हर तरह के प्रयास कर रही है.
हिंदी सिनेमा का हिंदी के विस्तार में अहम योगदान
उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा ने हिंदी के विदेशों तक पहुंचाने का काम किया है. आज पूरा विश्व हिंदी को जानने में लगा है. मंगोलिया और रूस में हिंदी भाषा पर काफी काम हो रहा है. हिंदी और रामचरितमानस के बिना हम बिना जड़ के पेड़ की तरह खडे होंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में तीन भाषाओं – अंग्रेजी, चाईनीज और हिंदी का दबदबा रहेगा. तकीनीकी विशेषज्ञों का भी यही मानना है. भाषा एक बहुत बड़ा बाजार बनने वाला है. आज बढ़ती हुई टेक्नोलॉजी की दुनिया में हिंदी काफी आगे जाने वाला है.