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मीट प्रतिबंध मामला : J&K में हिंसक रुप ले सकता है बैन, यासिन मलि‍क और मीरवाइज नजरबंद

जयपुर/मुंबई/जम्मू : त्योहारों के दौरान मांस और गोमांस पर प्रतिबंध लगाने का महाराष्ट्र से शुरू हुआ विवादित सिलसिला गुरुवार को देश के विभिन्न भागों तक फैल गया जब राजस्थान, जम्मू्-कश्मीर और अहमदाबाद में भी इसी तरह के निर्देश जारी किये गये, हालांकि मुंबई में इस मुद्दे पर खींचतान बढ़ गयी और बंबई हाइकोर्ट ने व्यवस्था […]

जयपुर/मुंबई/जम्मू : त्योहारों के दौरान मांस और गोमांस पर प्रतिबंध लगाने का महाराष्ट्र से शुरू हुआ विवादित सिलसिला गुरुवार को देश के विभिन्न भागों तक फैल गया जब राजस्थान, जम्मू्-कश्मीर और अहमदाबाद में भी इसी तरह के निर्देश जारी किये गये, हालांकि मुंबई में इस मुद्दे पर खींचतान बढ़ गयी और बंबई हाइकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि मांस की बिक्री पर रोक व्यावहारिक नहीं है. वहीं इस प्रतिबंध के खिलाफ मीट व्यापारियों की ओर से दायर याचिका पर बंबई हाईकोर्ट फैसला सुनायेगी.

इधर, मीट पर प्रतिबंध की आग जम्मू-कश्‍मीर में भी फैल गयी है. कश्‍मीर में आज अलगाववादी नेताओं ने प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. अलगाववादी नेताओं ने आज जुम्मे की नमाज के बाद इसके विरोध में स्वर उठाने का फैसला लिया है. इस दौरान हिंसा की आशंका जतायी जा रही है.जेकेएलएफ प्रमुख यासिन मलि‍क और मीरवाइज उमर फारूक को हिंसा के मद्देनजर नजरबंद कर लिया गया है.

राजस्थान सरकार ने 17, 18 और 27 सितंबर को त्योहारों, जिनमें कुछ जैन समुदाय से संबंध हैं, के मौके पर मांस और मछली की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है. एक अधिकारी ने बताया कि तमाम नगर निकायों को जारी एक परिपत्र में राज्य सरकार ने मांस विक्रेताओं से कहा है कि वह 17 सितंबर को ‘पर्यूषण’ (जैन व्रत), 18 सितंबर को संवतसरी (जैन पर्व) और 27 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर अपनी दुकानें बंद रखें और मांस एवं मछली की बिक्री न करें. यह आदेश बूचड़खानों पर भी लागू होगा. जम्मू कश्मीर में हाइकोर्ट ने गोमांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया, जिसपर जमात-ए-इसलामी और पृथकतावादी हुर्रियत कांफ्रेंस जैसे संगठनों और स्थानीय लोगों ने रोष प्रकट किया. हाइकोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा है कि वह इस फैसले को चुनौती देगा.

बैन व्यावहारिक नहीं

बंबई हाइकोर्ट ने कहा कि जैन समुदाय के त्योहार ‘पर्यूषन’ के दौरान पशु वध और मांस की बिक्री पर चार दिन तक प्रतिबंध लगाना मुंबई जैसे महानगर शहर में व्यावहारिक नहीं होगा. अदालत ने राज्य सरकार और नगर निकाय से इसे चुनौती देनेवाली याचिका पर जवाब मांगा है. न्यायमूर्ति अनूप मोहता की अध्यक्षतावाली दो सदस्यीय पीठ बंबई मटन डीलर्स एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी .10 और 17 सितंबर को प्रतिबंध सरकार के निर्देशों के अनुसार था, वहीं शिवसेना-भाजपा संचालित बीएमसी ने इस पर 13 और 18 सितंबर को भी प्रतिबंध लगा दिया. प्रतिबंध के दायरे में सिर्फ मटन और चिकन की बिक्री आती है.

महाराष्ट्र को नहीं भड़काएं : शिव सेना

शिव सेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रतिबंध को लेकर जोर दिये जाने पर जैन समुदाय की आलोचना करते हुए कहा कि अहिंसा के प्रति समुदाय का रुख अब हैरान करनेवाला है, क्योंकि उन लोगों ने शहर में 1993 के दंगे के वक्त कथित तौर पर हिंसा का समर्थन किया था. मुखपत्र में कहा गया है, पर्यूषण के नाम पर महाराष्ट्र को नहीं भड़काया जाये. जीओ और जीने दो के सिद्धांत पर यकीन करो और लोग जो चाहें खाने दो. शिव सेना ने कहा, अब तक कट्टरपंथी मुसलमान ही धर्म के नाम पर लोगों पर धौंस जमाते रहे हैं. अगर जैन भी मुसलमान की राह जायेंगे तब तो ऊपरवाला ही उन्हें बचायेगा.

निर्वस्त्र घूमने पर समस्या नहीं, मांस पर क्यों

शिव सेना के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) सुप्रीमो राज ठाकरे ने भी जैन समाज को निशाने पर लेते हुए कहा कि दिगंबर जैन मुनियों को अगर निर्वस्त्र घूमने में समस्या नहीं है, तो फिर मीट की बिक्री पर उन्हें एेतराज क्यों है? उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में क्या होगा, इसका फैसला जैन समाज नहीं करेगा. इस मसले को जैन बनाम हिंदू बनाया जा रहा है. मीट पर बैन से राज्य में गलत परंपरा की शुरुआत हो जायेगी और दूसरे धर्मों के लोग भी भविष्य में इस तरह की मांग करने लगेंगे. ठाकरे ने भाजपा पर इस मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया. कांग्रेस, राकांपा ने भी इसका विरोध किया.

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