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PM नरेंद्र मोदी ने समग्र रोकथाम करने में सक्षम स्वास्थ्य सेवा पर दिया जोर

चंडीगढ :देश में समग्र एवं निवारक स्वास्थ्य सेवा की जरुरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि अब समय आ गया है कि हम बीमारी की बजाए तंदरुस्ती के बारे में सोचें. पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआइएमइआर) के 34वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए […]

चंडीगढ :देश में समग्र एवं निवारक स्वास्थ्य सेवा की जरुरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि अब समय आ गया है कि हम बीमारी की बजाए तंदरुस्ती के बारे में सोचें. पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआइएमइआर) के 34वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अब समय वह नहीं रह गया है कि हम (सिर्फ) बीमारी से जुडे मुद्दों से निपटने के बारे में सोचें बल्कि तंदरुस्ती कैसे आए, इस पर विचार करने का समय है. हमें समग्र सोच के साथ आगे बढना है जहां हम तंदरुस्ती और खुशहाली के विषय पर सोचें और केवल बीमारी से निपटने पर नहीं.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग अब समग्र या रोकथाम करने वाली स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में सजग हो गये हैं. मोदी ने कहा कि दुनिया चिकित्सा विज्ञान से और काफी कुछ मांग रही है. उन्होंने कहा, ‘उसने अब दवाओं पर निर्भर रहने की बजाए बेहतर स्वास्थ्य के बारे में सोचना शुरू कर दिया है.’ उन्‍होंने कहा, ‘समाज में बडा बदलाव आया है क्योंकि वह अब दवाओं से मुक्ति चाहता है. कोई व्यक्ति इसके साइड इफेक्ट (दवाओं के) नहीं चाहता है, वह बीमारी से दूर रहना चाहता है.’ प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य एवं तंदरुस्ती में योग के महत्व को भी रेखांकित किया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि योग अभ्यास रोकथाम करने वाली स्वास्थ्य सेवाओं, समग्र स्वास्थ्य सेवा और तंदरुस्ती की दिशा में एक कदम है. मोदी ने कहा कि दुनिया अब चिकित्सा विज्ञान से और बहुत कुछ चाहती है तथा वह दवाओं से मुक्त बेहतर स्वास्थ्य चाहती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य से जुडे इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए ही स्वास्थ्य क्षेत्र की नीतियां और रणनीतियां तैयार की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि योग अभ्यास समग्र स्वास्थ्य सेवा और तंदरुस्ती की दिशा में एक कदम है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह दीक्षांत समारोह है. इसे विद्यांत समारोह या शिक्षांत समारोह नहीं समझें. मोदी ने कहा कि दीक्षांत समारोह की परंपरा की शुरुआत भारत से ही 2500 वर्ष पूर्व हुई थी. उन्‍होंने कहा कि उपनिषद में पहले दीक्षांत समारोह का उल्‍लेख है. उन्‍होंने चिकित्‍सकों का गरीबों के इलाज के लिए आह्वान किया. उन्‍होंने कहा कि यहां के गुरुओं ने जो आपको सीखाया है उसको कसौटी पर कसने का समय आ गया है. उन्‍होंने कहा कि आप अगर किसी गरीब का इलाज करते हैं तो समझे कि आपने किसी गरीब का इलाज नहीं किया, बल्कि एक बीमार की मदद की. वह गरीब वर्षों बाद भी अपने इलाज का खर्च आपके दरवाजे पर आकर चुकायेगा.

उन्‍होंने कहा कि डॉक्‍टर मशीन से नहीं जिंदा इंसान से जुड़ा होता है. जब आपके पास कोई मरीज आता है तो वह एक जिंदा इंसान होता है. उन्‍होंने कहा कि बीमार को अपना बनाने से बीमारी चली जाती है. उन्‍होंने कहा कि आप सरकार के कारण नहीं समाज के कारण डॉक्‍टर बनें हैं. उन्‍होंने कहा कि डॉक्‍टर केवल अपने जीवन का निर्णय नहीं करता बल्कि समाज के सभी वर्ग के लोगों के जीवन का निर्णय करता है.

उन्‍होंने कहा कि आप उस सबसे गरीब व्‍यक्ति को याद करें जिसने कभी ना कभी आपकी सहायता की हो, तो स्‍वत: ही आपके निर्णय सही होते चले जायेंगे. परंपरागत रूप से स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति आज दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव आया है. हाल ही में योग दिवस के दिन पूरी दुनिया ने इसे अपनाकर यह साबित कर दिया. आज पूरा विश्‍व मेडिकल साइंस से कुछ और मांग रहा है, दवाइयों पर गुजारा करने की बजाय व्‍यक्ति अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता करने लगा है. उन्‍होंने कहा कि भगवान का दृष्‍य रूप डॉक्‍टर होता है. सामान्‍य नागरिक हर डॉक्‍टर को भगवान के रूप में देखता है.

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