कोयला घोटाला : एफआईआर रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मधु कोडा
नयी दिल्ली : कोयला घोटाला मामले में फंसे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा अपने खिलाफ एफआईआर रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. कोडा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और अपने खिलाफ एफआईआर को रद्द करने की मांग की है. कोडा की याचिका पर अगले सोमवार को सुनवाई होगी […]
नयी दिल्ली : कोयला घोटाला मामले में फंसे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा अपने खिलाफ एफआईआर रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. कोडा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और अपने खिलाफ एफआईआर को रद्द करने की मांग की है. कोडा की याचिका पर अगले सोमवार को सुनवाई होगी जाएगी.
* पूर्व सीबीआई अधिकारी को सिन्हा के खिलाफ जांच में समन जारी करने का अधिकार
उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक एम एल शर्मा को कोयला खदान आबंटन प्रकरण की जांच प्रभावित करने के आरोपी सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ जांच में किसी भी व्यक्ति को तलब करने का अधिकार प्रदान कर दिया.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की विशेष पीठ ने अपने आदेश में कहा, हम स्पष्ट करते हैं कि एम एल शर्मा को जांच में किसी भी व्यक्ति को समन जारी करने का अधिकार है. साथ ही न्यायालय ने कहा कि शर्मा इस जांच में आवश्यक सारे दस्तावेजों को देख सकते हैं.
न्यायालय ने सीबीआई के इस पूर्व अधिकारी से कहा कि वह जांच पूरी करके तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे. न्यायालय ने इस जांच के लिये पुलिस के तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों और दो सहयोगी स्टाफ की सेवायें उपलब्ध कराने का शर्मा का अनुरोध स्वीकार कर लिया.
शीर्ष अदालत ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा कि संबंधित प्राधिकारी को उन्हें कार्यालय परिसर और आवागमन के लिये ट्रांसपोर्ट जैसी सभी सुविधायें यथाशीघ्र उपलब्ध करायी जायें. पीठ ने कहा कि इस मामले में जांच के स्वरुप के बारे में सही स्थिति का आकलन होने के बाद शर्मा और अन्य लोगों के लिये पारिश्रमिक 16 नवंबर को निर्धारित किया जायेगा क्योंकि सीबीआई के इस पूर्व अधिकारी ने कोई भी मांग करने से इंकार कर दिया है.
एम एल शर्मा ने अटार्नी जनरल को एक पत्र लिखा था जिसमें अधिकारियों के नामों और सहायक स्टाफ की आवश्यकता के बारे में बताया गया था. शर्मा के प्रस्ताव पर सभी पक्षों की सहमति के बाद यह पत्र रिकार्ड में लिया गया. गैर सरकारी संगठन कामन काज ने रंजीत सिन्हा पर कोयला खदान प्रकरण की जांच को प्रभावित करने का आरोप लगाया था.
इस संगठन के वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि यह गंभीर मामला है जिसकी जांच सीबीआई या सीवीसी से नहीं करायी जानी चाहिए और इसकी जिम्मेदारी जांच में अनुभव रखने वाले किसी व्यक्ति को सौंपनी चाहिए. इस मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग की मदद के लिये छह जुलाई को शीर्ष अदालत की पहली पसंद के रुप में शर्मा का नाम सामने आया था.