16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पूरा हुआ अटल बिहारी का सपना, कृष्णा का गोदावरी से आज होगा मिलन

मिथिलेश झा नदियों के तट पर सभ्यताएं तो विकसित होती ही हैं, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था वहां की नदी और उसमें उपलब्ध के उचित प्रबंधन पर ही निर्भर होती है. खासकर भारत जैसे देश में जब मॉनसून दगा दे जाये, तो नदियों और नहरों का पानी ही किसानों का सहारा होता है. प्रकृति ने […]

मिथिलेश झा

नदियों के तट पर सभ्यताएं तो विकसित होती ही हैं, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था वहां की नदी और उसमें उपलब्ध के उचित प्रबंधन पर ही निर्भर होती है. खासकर भारत जैसे देश में जब मॉनसून दगा दे जाये, तो नदियों और नहरों का पानी ही किसानों का सहारा होता है. प्रकृति ने भारत को विशाल नदियों की नेमत बख्शी है. इसमें बड़ी से छोटी नदियां तक शामिल हैं. कई नदियों के पानी से बड़े क्षेत्र डूब जाते हैं, बाढ़ से तबाह हो जाते हैं, तो कुछ इलाकों की नदियां और लोगों के हलक तक सूख जाते हैं. कृषि कार्य ठप पड़ जाते हैं. किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं. भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने समस्या को समझा और नदियों को जोड़ने का विचार पेश किया.

परियोजना पर काम शुरू होने से पहले ही अटल सरकार का पतन हो गया. इसके बाद सत्ता में आयी कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया. लेकिन, कांग्रेस पार्टी के नेता वाइएस राजशेखर रेड्डी, जो आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री भी थे, ने परियोजना के महत्व को समझा और कृष्णा डेल्टा की पानी की किल्लत दूर करने के लिए कृष्णा को गोदावरी से जोड़ने हेतु पोलावरम परियोजना पर काम शुरू किया. तमाम बाधाओं को दूर करते हुए जरूरी अनुमतियां हासिल की.

रेड्डी की पहल को वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने खूब भुनाया और इसका समर्थन करने की बात कही. लेकिन, रेड्डी के निधन के बाद उसने परियोजना से मुंह फेर लिया. कांग्रेस के कई बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री इसका विरोध करने लगे. किसी ने इसके 100 साल में भी पूरी नहीं होने की बात कही, तो किसी ने इसकी ऊंचाई घटाने की बात की. जयपाल रेड्डी ने विरोध-प्रदर्शन करने और टीआरएस चीफ के चंद्रशेखर राव ने सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी दी. बहरहाल, रेड्डी का सपना पूरा हुआ और कृष्णा से गोदावरी का मिलन हो गया. हालांकि, कृष्णा में गोदावरी का पानी गिरने लगा है, लेकिन इसका उदघाटन मंगलवार को आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू करेंगे.

केंद्र की 30 नदियों को जोड़ने की योजना है. ऐसा होने से 350 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा सकेगी. खेती का रकबा बढ़कर 14 करोड़ से 17.50 करोड़ हेक्टेयर हो जायेगा व 34000 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा. साथ ही बाढ़ से भी निजात मिल जायेगी. नदियों में जल उपलब्ध होगा, तो सस्ते परिवहन की सुविधा भी लोगों को मिलने लगेगी. पेयजल की किल्लत तो दूर होगी ही, मत्स्यपालन भी किया जा सकेगा. प्रदूषण पर नियंत्रण में भी सुविधा होगी.

खास तथ्य

450 से 500 क्यूसेक पानी एक सितंबर से ही पश्चिमी गोदावरी के टाटीपुडी लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट से पोलावरम राइट मेन कैनल में छोड़ा जा रहा है.

174 किलोमीटर की दूरी तय कर विजयवाड़ा में प्रकाशम बराज के पास एक नहर के जरिये कृष्णा नदी से मिलेगा गोदावरी का पानी.

4-5 साल में पोलावरम डैम बनकर तैयार हो जायेगा. फिर नहरों और पाइपलाइन के जरिये रायलसीमा और तेलंगाना की धरती की प्यास बुझाने के साथ जलाशयों को भी लबालब भर दिया जायेगा.

आंध्र पर असर

भविष्य में बजट आवंटन में आ सकती है परेशानी

80 फीसदी राशि गैर योजना मद (वेतन, पेंशन आदि) में होती है खर्च

सबसे बड़ी बात : 3,000 अरब टीएमसी गोदावरी का पानी, हर साल समुद्र में बेकार बह जाता है, जो अब किसानों और लोगों के काम आयेगा.

भारत की महत्वपूर्ण नदियां व उनका जलग्रहण क्षेत्र

12 बड़ी नदियों का जलग्रहण क्षेत्र करीब 25.28 करोड़ हेक्टेयर

11 करोड़ हेक्टेयर से अधिक है सबसे बड़ी नदियों गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना का

01 करोड़ हेक्टेयर से अधिक जलग्रहण क्षेत्रवाली नदियां सिंधु (3.21 करोड़ हेक्टेयर), गोदावरी (3.13 करोड़ हेक्टेयर), कृष्णा (2.59 करोड़ हेक्टेयर) और महानदी (1.42 करोड़ हेक्टेयर) हैं

2.5 करोड़ हेक्टेयर है औसत दर्जे की नदियों का जलग्रहण क्षेत्र

19 लाख हेक्टेयर (औसत दर्जे की नदियों में सबसे ज्यादा) जलग्रहण क्षेत्र है स्वर्णरेखा का

30 नदियां जुड़ेंगी, तो 350 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी

3.50 करोड़ हेक्टेयर बढ़ जायेगा कृषि क्षेत्र का रकबा

34 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा

प्रोजेक्ट से लाभ

10 लाख एकड़ रबी क्षेत्र को स्थायी रूप से मिलेगा पानी

08 लाख एकड़ क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा मिलेगी

विशाखापत्तनम, कांकीनाड़ा के उद्योगों को नहीं होगी पानी की कमी

80 टीएमसी पानी कृष्णा में छोड़े जाने से नागार्जुन सागर बांध का दबाव कम होगा

पानी का इस्तेमाल

45 टीएमसी रायलसीमा और तेलंगाना

20 टीएमसी कर्नाटक

15 टीएमसी महाराष्ट्र

(टीएमसी : अरब क्यूबिक फुट)

130 टीएमसी पानी दुम्मुगुडेम-नागार्जुनसागर-टेल पांड लिंक से छोड़े जाने पर, रायलसीमा व तेलंगाना को 175 टीएमसी पानी मिलेगा

वेलिगोंडा, गलेरु-नागरी, हांड्री-नीवा, कल्वाकुर्ती, नेट्टेमपाडु, श्रीसाइलाम एलबीसी, तेलुगु गंगा के साथ हैदराबाद में भी जल की उपलब्धता बढ़ेगी

अंतरराज्यीय परियोजना

46 प्रस्ताव मिले हैं नौ राज्यों (महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, ओड़िशा, बिहार, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक व छत्तीसगढ़) से

35 प्रस्तावों पर प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट (पूर्व व्यवहार्यता रिपोर्ट) तैयार

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें