मुंबई ट्रेन विस्फोट: दोषियों ने फांसी की सजा नहीं देने की लगाई गुहार, सजा का ऐलान आज

मुंबई : जुलाई 2006 के श्रृंखलाबद्ध ट्रेन विस्फोट मामले में दोषियों को सजा पर दलीलें शुरू हो गईं और सभी 12 दोषियों ने सोमवार को निचली अदालत से मानवीय आधार पर मौत की सजा नहीं सुनाने का अनुरोध किया. इस सीरियल बम ब्लास्ट के गुनहगारों को मंगलवार यानी आज सजा सुनाई जाएगी. पिछले शुक्रवार को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2015 10:23 AM

मुंबई : जुलाई 2006 के श्रृंखलाबद्ध ट्रेन विस्फोट मामले में दोषियों को सजा पर दलीलें शुरू हो गईं और सभी 12 दोषियों ने सोमवार को निचली अदालत से मानवीय आधार पर मौत की सजा नहीं सुनाने का अनुरोध किया. इस सीरियल बम ब्लास्ट के गुनहगारों को मंगलवार यानी आज सजा सुनाई जाएगी. पिछले शुक्रवार को मुंबई की स्पेशल मकोका कोर्ट ने केस में 12 आरोपियों को दोषी ठहराया है.

आपको बता दें कि लोकल ट्रेनों में हुए विस्फोटों में 188 लोगों की मौत हुई थी. एक विशेष अदालत ने पिछले सप्ताह 13 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था जबकि एक अन्य आरोपी को इस मामले में बरी कर दिया था. सोमवार को विशेष मकोका अदालत द्वारा 11 सितंबर को दोषी ठहराये गये सभी 12 दोषियों द्वारा लिखित बयान में कहा गया कि गंभीरता कम करने की ऐसी परिस्थितियां हैं जो बताती हैं कि उनमें सुधार हुआ है और इसलिए उन पर नरमी बरती जानी चाहिए. न्यायाधीश यतिन डी शिंदे ने हर दोषी को अपने सामने बुलाया और उन्हें सजा पर उनका मौखिक बयान दर्ज किया.

बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष के वकील कल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए सजा पर दलीलें देंगे. न्यायाधीश के सामने पेश पहले दोषी कमाल अंसारी ने उसे न्यूनतम सजा दिये जाने का अनुरोध किया. अंसारी ने अदालत से कहा, ‘‘मेरे छोटे बच्चे हैं.’’ एक अन्य दोषी डाक्टर तनवीर अहमद ने कहा कि उसने गरीबों की मदद के लिए यह पेशा चुना था और वह जरुरतमंदों की सेवा करना चाहता था. उसने कहा कि उसने चैरिटेबल अस्पताल में काम किया.

तनवीर ने अदालत से कहा, ‘‘मेरा कोई पुराना आपराधिक रिकार्ड नहीं है और मैंने (विचाराधीन कैदी के रुप में) अच्छा व्यवहार किया है. मैंने आपदा प्रबंधन में परास्नातक की पढाई की और अपना शैक्षणिक रिकार्ड सुधारा.’’ उसने कम से कम सजा की प्रार्थना की. एक अन्य दोषी मोहम्मद फैसल शेख ने भी कम सजा की प्रार्थना करते हुए कहा कि वह बीते तीन साल से ब्रेन ट्यूमर से ग्रस्त है. उसने कहा, ‘‘जेल में मुङो ब्रेन ट्यूमर हो गया. मुझे रीढ की हड्डी संबंधी बीमारियां भी हैं.’’ उसने कहा कि इससे पहले किसी अदालत ने उसे दोषी नहीं ठहराया और उसकी भविष्य में कोई अपराध करने की मंशा नहीं है.

शेख ने कहा कि उसके माता पिता बुजुर्ग हैं और उनका ख्याल रखने वाला कोई नहीं है. उसने कहा, ‘‘इसी मामले में मेरे भाई को भी दोषी ठहराया गया है.’’ एक अन्य दोषी एहतेशाम सिद्दीकी ने अदालत से कहा कि वह गरीब परिवार से आता है और गिरफ्तारी से पहले छोटा कारोबार चला रहा था. सिद्दीकी ने कहा, ‘‘मैं पढाई नहीं कर सका क्योंकि हम गरीब थे और बडी मुश्किल से मैं थोडा बहुत सीख सका। मेरा भाई परिवार चलाता है और वह वित्तीय रुप से मजबूत नहीं है.’’ उसने कहा कि जेल जाने के बाद उसे शिक्षा मिली और फिलहाल वह विधि में स्नातक कर रहा है. उसने भी न्यूनतम सजा का अनुरोध किया.

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