21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

तंदूर हत्याकांड : अदालत ने सुशील शर्मा को पैरोल पर किया रिहा

नयी दिल्ली : कुख्यात तंदूर हत्याकांड मामले में अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या करने के लिए पिछले 20 साल से जेल में बंद पूर्व युवा कांग्रेस नेता सुशील शर्मा को आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने पैरोल पर रिहा कर दिया. अदालत ने कहा कि जब तक शर्मा की सजा को कम करने और समय […]

नयी दिल्ली : कुख्यात तंदूर हत्याकांड मामले में अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या करने के लिए पिछले 20 साल से जेल में बंद पूर्व युवा कांग्रेस नेता सुशील शर्मा को आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने पैरोल पर रिहा कर दिया. अदालत ने कहा कि जब तक शर्मा की सजा को कम करने और समय पूर्व रिहाई संबंधी अपील का निपटारा सक्षम प्राधिकार द्वारा नहीं कर लिया जाता, वह जेल से बाहर रहेगा. न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल ने उसकी रिहाई का आदेश देते हुए कहा कि वह 20 साल से अधिक समय तक जेल में रह चुका है और यह उसके अधिकार का मामला है. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार कहती है कि सजा समीक्षा बोर्ड ने पहले ही फैसला कर लिया है और यह मामला विचार तथा आदेश के लिए सक्षम प्राधिकार के समक्ष है.
उपरोक्त के मद्देनजर, केवल यही काम बचता है कि सक्षम प्राधिकार से जल्द फैसला लेने और अंतत: इसे उचित समय के भीतर जारी करने को कहा जाए.’ दिल्ली सरकार के अतिरिक्त सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि फैसला लिया जा चुका है और अब उप राज्यपाल को अंतिम आदेश पारित करना है. अदालत ने शर्मा को पैरोल पर रिहा करते हुए कहा कि उसके वकील ने इस तथ्य की ओर उसका ध्यान आकर्षित किया है कि दोषी 20 साल से अधिक की सजा भुगत चुका है. अदालत ने कहा, ‘‘ पूर्व के एक मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला शर्मा के वकील द्वारा दिए गए बयान की पुष्टि करता है. उसके मद्देनजर, राज्य को निर्देश दिया गया है कि वह उसकी अपील के लंबित रहने और उस पर सक्षम प्राधिकार का फैसला आने तक याचिकाकर्ता को पैरोल पर रिहा करे.’
जज ने यह भी स्पष्ट किया कि शर्मा को पैरोल देते हुए उस पर ‘‘कोई शर्त ‘ नहीं थोपी गयी है. पीडित की हत्या के बाद यह मामला तंदूर हत्याकांड के रूप में कुख्यात हुआ था. दोषी ने अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या कर सबूतों को मिटाने के लिए शव को एक होटल के तंदूर में जला डाला था. शर्मा ने यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था कि वह पहले ही जेल में 20 साल से अधिक काट चुका है और सजा समीक्षा बोर्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार समय पूर्व रिहाई का हकदार है.
अपनी याचिका में शर्मा ने उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार को समय पूर्व रिहाई की उसकी याचिका पर तेजी के साथ विचार करने का निर्देश देने की अपील की गयी थी. अपनी मां की बीमारी को लेकर पैरोल पर रहने के दौरान शर्मा ने यह याचिका दाखिल की थी. वह सात सितंबर को जेल में वापस आ गया था और आज उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उसे जल्द ही जेल से रिहा कर दिया जाएगा. उच्चतम न्यायालय ने 2003 में निचली अदालत द्वारा शर्मा को सुनायी गयी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था. शीर्ष अदालत से पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी 2007 में मौत की सजा को बरकरार रखा था. शीर्ष अदालत ने सजा को आजीवन कारावास में बदलते हुए कहा था कि हत्या ‘‘निजी संबंधों के तनावपूर्ण ‘ होने का नतीजा थी और दोषी ‘‘पुराना अपराधी’ नहीं है जो ‘‘दस साल मौत की कोठरी में ‘ गुजार चुका है.
शर्मा ने अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से 2 जुलाई 1995 को अपनी पत्नी की गोली मार कर हत्या कर दी थी. इसके बाद वह उसके शव को लेकर एक रेस्त्रां में गया और उसके टुकडे-टुकडे कर उसे रेस्त्रां के ओवन में जलाने का प्रयास किया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें