RSS ने उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी के बयान को बताया साम्प्रदायिक मुस्लिम नेता का भाषण

नयी दिल्ली : मुसलमानों के सशक्तीकरण, शिक्षा एवं सुरक्षा के बारे में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बयान को निराशाजनक बताते हुए आरएसएस के मुख्यपत्र पांचजन्य में कहा गया है कि तमाम बुद्धिजीविता के लब्बोलुआब के बावजूद वह एक साम्प्रदायिक मुस्लिम नेता का भाषण लगता है. हामिद अंसारी द्वारा सकारात्मक कदमों द्वारा मुसलमानों के सशक्तीकरण की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2015 4:17 PM

नयी दिल्ली : मुसलमानों के सशक्तीकरण, शिक्षा एवं सुरक्षा के बारे में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बयान को निराशाजनक बताते हुए आरएसएस के मुख्यपत्र पांचजन्य में कहा गया है कि तमाम बुद्धिजीविता के लब्बोलुआब के बावजूद वह एक साम्प्रदायिक मुस्लिम नेता का भाषण लगता है.

हामिद अंसारी द्वारा सकारात्मक कदमों द्वारा मुसलमानों के सशक्तीकरण की जरूरत बताये जाने पर निशाना साधते हुए पांचजन्य में एक लेख में कहा गया है कि हाल में मजलिस ए मुशावरात के जलसे में हामिद अंसारी का भाषण निराश करने वाला था क्योंकि तमाम बुद्धिजीविता के लब्बोलुआब के बावजूद वह एक साम्प्रदायिक मुस्लिम नेता का भाषण लगता है. ‘‘ उपराष्ट्रपति से यह उम्मीद होना स्वाभाविक है कि वे किसी विशेष समुदाय की तरफदारी करने की बजाए सबके हित की बात करेंगे.

लेकिन उनके भाषण में यह बात गायब थी.’ लेख में कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन आईएसआईएस, तालिबान, बोको हराम का जिक्र करते हुए कहा गया है कि कोई मजहबी समुदाय अगर 1400 साल पुरानी बातों को आज भी जस का तस लागू करने की इच्छा रखता हो तब वह आधुनिक कैसे हो सकता हैं.
इस्लाम में रेडिकल वे होते हैं जो 1400 वर्ष पुरानी बातों को ज्यों का त्यों लाना चाहते हैं जैसे आईएस या तालिबान या बोको हराम. इस तरह से इस्लाम और आधुनिकता दो ध्रुव हैं, लेकिन यह बात अंसारी जैसे नेता मुसलमानों को कभी नहीं समझाते. पांचजन्य के लेख में कहा गया है, ‘‘ अपने प्र्रगतिशील मुखौटे के बावजूद हामिद अंसारी का भाषण मुस्लिम संस्थाओं के मांगपत्र जैसा लगता है, जिसमें आत्मविश्लेषण की कोई इच्छा नहीं नजर आती.

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