नयी दिल्ली : संबंधों में बढ़ते सामंजस्य का प्रदर्शन करते हुए भारत और श्रीलंका ने संवेदनशील मछुआरे मुद्दे, तमिलों के लिए इंसाफ, व्यापार एवं रक्षा सहयोग को बढ़ाने के तौर-तरीकों पर व्यापक बातचीत की तथा आतंकवाद से लड़ने एवं समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के वास्ते सहयोग बढ़ाने का निश्चय किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके श्रीलंकाई समकक्ष रानिल विक्रमसिंघे ने अपने प्रतिनिधिमंडल स्तर और सीमित औपचारिक वार्ता के बाद कहा कि दोनों देश संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने के लिए कटिबद्ध हैं और दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य एवं अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग गहरा करने के लिए चार समझौते पर हस्ताक्षर किए.
चौथे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत का चयन करने पर विक्रमसिंघे को धन्यवाद देते मोदी ने उम्मीद जतायी कि उनका देश वास्तविक सुलह एवं विकास हासिल करेगा ताकि तमिलों समेत सभी लोग एकजुट श्रीलंका में समानता, इंसाफ, शांति मर्यादा की जिंदगी जी सकेंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष सहयोग तेज करेंगे तथा पडोसी समुद्र में सुरक्षा एवं स्थायित्व के लिए मिलकर काम करेंगे.
मोदी ने कहा, हम अपने घनिष्ठ साझे हितों एवं एक दूसरे की चिंता के प्रति संजीदा रहने की जरुरत को समझते हैं. हम अपना रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग प्रगाढ बनाने के प्रति अपनी कटिबद्धता दोहराते हैं. उन्होंने कहा कि श्रीलंका रक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम में भारत का सबसे बड़ा साझेदार है और वह इस क्षेत्र में सहयोग का विस्तार जारी रखेगा. राजीव गांधी की 1987 की श्रीलंका यात्रा के बाद मोदी वहां की यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं.
मछुआरों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बात पर सहमति बनी है कि दोनों पक्षों के मछुआरे संघ हल ढूढने के लिए अपना प्रयास जारी रखेंगे. मोदी ने कहा, मैंने उनसे कहा कि इसे एक मानवीय मुद्दे के रुप में देखा जाना चाहिए जो जीविका पर असर डालती है. मैंने उन्हें भारतीय मछुआरों को गहरे समुद्र में मछली पकडने के वास्ते उत्साहित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में बताया. दोनों देशों के बीच समग्र आर्थिक सहयोग का मुद्दा भी बातचीत के दौरान उठा और श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने उम्मीद जतायी कि इसे अगले साल अंतिम रुप दिया जाएगा.
मोदी ने कहा, आपकी (श्रीलंका की) तरक्की हम दोनों देशों, दक्षिण एशिया और अपनी समुद्री क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते आम भारतीयों एवं श्रीलंकाइयों के दिल को छूते हैं और दोनों देशों का एक दूसरे की सफलता एवं इस क्षेत्र के विकास में काफी दांव है. श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने भी जनवरी में पदभार ग्रहण के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को गंतव्य चुना था.
गहरे आर्थिक सहयोग की उम्मीद करते हुए मोदी ने भारतीय निवेशकों से सहयोग मांगा जो श्रीलंका के आर्थिक विकास खासकर बुनियादी ढांचे, उर्जा, परिवहन क्षेत्रों में हिस्सा लेने को इच्छुक हैं. उन्होंने कहा, हम मार्च से द्विपक्षीय संबंधों में आए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव का स्वागत करते हैं जिनमें मुद्रा की अदला-बदली का समझौता शामिल है. हम यह भी आशा प्रकट करते हैं कि अहम द्विपक्षीय पहलों एवं परियोजनाओं पर प्रगति में तेजी आएगी. विक्रमसिंघे के साथ अपनी चर्चा को शानदार बताते हुए मोदी ने कहा कि भारत द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि और उसे श्रीलंका के लिए और संतुलित होते हुए देखना चाहेगा.
उन्होंने कहा, हमने इस बात पर चर्चा की कि कैसे हम इन लक्ष्यों को और अधिक खुले एवं प्रतिस्पर्धी भारतीय बाजार में हासिल कर सकते हैं जिसमें व्यापार एवं निवेश पर द्विपक्षीय व्यवस्था शामिल है. श्रीलंका दक्षिण एशिया में भारत का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है. दोनों देशों के बीच 2013-14 में द्विपक्षीय व्यापार 5.23 अरब डालर का था, भारत का निर्यात 3.98 अरब डालर का था जबकि श्रीलंका का निर्यात 67.8 करोड़ डलार का था.
मोदी ने कहा कि उन्होंने विक्रमसिंघे को बुनियादी ढांचे, रेलवे, उर्जा, समुदाय विकास परियोजनाएं, कृषि, क्षमता निर्माण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष आदि क्षेत्रों में अपनी विकास साझेदारी में भारत की निरंतर कटिबद्धता का आश्वासन दिया. प्रधानमंत्री ने विक्रमसिंघ को पिछले महीने के संसदीय चुनाव में यूनाईटेड नेशनल फ्रंट की जीत के लिए बधाई दी.