2006 मुंबई ट्रेन विस्फोट: आज हो सकता है सजा का एलान

मुंबई : जुलाई 2006 के श्रृंखलाबद्ध ट्रेन विस्फोट मामले में दोषियों को सजा पर दलीलें शुरू हो गईं और सभी 12 दोषियों ने सोमवार को निचली अदालत से मानवीय आधार पर मौत की सजा नहीं सुनाने का अनुरोध किया. इस सीरियल बम ब्लास्ट के गुनहगारों को बुधवार यानी आज सजा सुनाई जा सकती है. पिछले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2015 9:39 AM

मुंबई : जुलाई 2006 के श्रृंखलाबद्ध ट्रेन विस्फोट मामले में दोषियों को सजा पर दलीलें शुरू हो गईं और सभी 12 दोषियों ने सोमवार को निचली अदालत से मानवीय आधार पर मौत की सजा नहीं सुनाने का अनुरोध किया. इस सीरियल बम ब्लास्ट के गुनहगारों को बुधवार यानी आज सजा सुनाई जा सकती है. पिछले शुक्रवार को मुंबई की स्पेशल मकोका कोर्ट ने केस में 12 आरोपियों को दोषी ठहराया है. एक विशेष अदालत ने पिछले सप्ताह 13 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था जबकि एक अन्य आरोपी को इस मामले में बरी कर दिया था. सोमवार को विशेष मकोका अदालत द्वारा 11 सितंबर को दोषी ठहराये गये सभी 12 दोषियों द्वारा लिखित बयान में कहा गया कि गंभीरता कम करने की ऐसी परिस्थितियां हैं जो बताती हैं कि उनमें सुधार हुआ है और इसलिए उन पर नरमी बरती जानी चाहिए.

188 लोगों की हुई थी मौत

मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों के प्रथम श्रेणी के डिब्बों में 11 जुलाई 2006 को सात आरडीएक्स बम विस्फोट हुए थे, जिसमें 188 लोगों की मौत हुई थी और 829 लोग घायल हुए थे. विस्फोट खार रोड-सांताक्रूज, बांद्रा-खार रोड, जोगेश्वरी-माहिम जंक्शन, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा-माहिम जंक्शन और बोरीवली के बीच हुए.

दोषियों के नाम

कमल अहमद अंसारी (37), तनवीर अहमद अंसारी (37), मोहम्मद फैजल शेख (36), एहतेशाम सिद्दकी (30), मोहम्मद माजिद शफी (32), शेख आलम शेख (41), मोहम्मद साजिद अंसारी (34), मुजम्मिल शेख (27), सोहैल महमूद शेख (43), जमीर अहमद शेख (36), नवीद हुसैन खान (30), आसिफ खान (38) आरोपी हैं, जिन्हें आतंकवाद निरोधक दस्ते ने गिरफ्तार किया था. जबकि अब्दुल वाहिद नाम के आरोपी को बरी कर दिया गया. मामले में आजम चीमा के साथ 14 अन्य फरार हैं.

दो साल बाद हुई थी गवाहों की गवाही

गवाहों की गवाही दो साल बाद हुई थी, क्योंकि साल 2008 में उच्चतम न्यायालय ने मुकदमे पर रोक लगा दी थी. स्थगनादेश देने से पहले अभियोजन ने पहले ही एक पुलिस अधिकारी की गवाही रिकार्ड कर ली थी. उच्चतम न्यायालय ने 23 अप्रैल 2010 को स्थगनादेश को हटाया था.

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