पटेल आरक्षण आंदोलन पर संघ ने चुप्पी तोड़ी, हार्दिक पर निशाना साधा

अहमदाबाद : पटेलों को आरक्षण देने की मांग को लेकर शुरु हुए आंदोलन के संबंध में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आज 25 अगस्त की रैली में आक्रामक रख अख्तियार करने के लिए समुदाय के नेता हार्दिक पटेल को आडे हाथ लिया और कहा कि अगर इस तरह के आंदोलन से समाज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2015 9:07 PM

अहमदाबाद : पटेलों को आरक्षण देने की मांग को लेकर शुरु हुए आंदोलन के संबंध में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आज 25 अगस्त की रैली में आक्रामक रख अख्तियार करने के लिए समुदाय के नेता हार्दिक पटेल को आडे हाथ लिया और कहा कि अगर इस तरह के आंदोलन से समाज को बंटने दिया जाता है तो यह सामाजिक तानेबाने को नष्ट कर सकता है.

आनंदीबेन पटेल सरकार के लिए परेशानी की वजह बन गये इस मुद्दे पर पहली बार अपनी राय व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा कि संघ मौजूदा प्रारुप में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण व्यवस्था के तब तक पक्ष में है जब तक सामाजिक असमानता बनी रहती है.

संघ की पत्रिका ‘साधना’ को वैद्य द्वारा दिये गये साक्षात्कार के अंशों के अनुसार, लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार व्यक्त करने और अपनी मांगें रखने की आजादी है और कोई इस बात से इनकार नहीं कर रहा. लेकिन आंदोलन से न तो समाज बंटना चाहिए और न ही देश को नुकसान होना चाहिए. इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि चल रहे आंदोलन में समाज को बांटने या अराजकता पैदा करने वाले तत्व शामिल नहीं होंगे.

उन्होंने कहा, हार्दिक पटेल के इस तरह के शब्द इसकी वजह रहे, मसलन हम पूरे भारत को अपनी ताकत दिखा देंगे या हम रावण की लंका जला देंगे. इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने से किसी भी देशभक्त को चिंता हो सकती है. इस तरह का आंदोलन समाज के तानेबाने को नुकसान पहुंचा सकता है. वैद्य का यह साक्षात्कार 19 सितंबर को प्रकाशित होगा.

इस बारे में जब संघ के प्रदेश पदाधिकारी प्रदीप जैन से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि साधना में वैद्य के ये विचार प्रकाशित किये गये हैं जिसकी प्रति पीटीआई के पास है. वैद्य ने एससी-एसटी को सामाजिक असमानता दूर होने तक आरक्षण दिये जाने की वकालत करते हुए कहा, भारतीय समाज में अस्पृश्यता की सामाजिक बुराई घुस आई थी. हमारे समाज का एक वर्ग विशेष तौर पर अन्याय, अपमान का शिकार हुआ और उन्हें सुविधाओं तथा सम्मान से वंचित रखा गया.

उन्होंने कहा, हमारे संविधान निर्माताओं ने ऐसे बंधुओं को मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण के प्रावधान बनाये थे. संघ इस तरह की व्यवस्था के साथ पूरी तरह सहमति रखता है. हालांकि उन्होंने आरक्षण व्यवस्था का अराजनीतिक समाजविज्ञानियों और विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा विश्लेषण कराये जाने की मांग की और कहा कि उनकी रिपोर्ट सभी को स्वीकार्य होनी चाहिए. इस बीच जैन ने कहा कि संघ ने समाज के सभी सदस्यों को मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से 1980 में मौजूदा आरक्षण प्रणाली को स्वीकार किया था.

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