नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू से मरने वालों की संख्या 21 पहुंच चुकी है. इसको लेकर लोग नगर निकायों की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं और उनका मानना है कि मच्छर जनित बीमारी के उभार ने इससे निपटने में एमसीडी की ‘लचर तैयारियों’ की पोल खोल दी है. दिल्ली में डेंगू के कुल मामले 2000 की संख्या को पार कर गये हैं और सितंबर में ही 1200 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.
तीनों नगर निकायों में सबसे ज्यादा उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने 12 सितंबर तक डेंगू के 776 मामले दर्ज किये। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम :एसडीएमसी: ने इसी अवधि में तकरीबन 500 मामले दर्ज किये और पूर्वी दिल्ली में 150 से ज्यादा मामला सामने आये. पिछले दिनों में एसडीएमसी के लाजपत नगर, संगम विहार, श्रीनिवासपुरी और लाडो सराय जैसे अधिकार क्षेत्र में कुछ बच्चों सहित लोगों की डेंगू से जान जाने के मामले आए हैं.
लाजपत नगर में रहने वाले 80 वर्षीय जे सी बक्शी ने कहा, ‘‘क्या वाकई में एमसीडी इस बारे में गंभीर है ? शायद ही किसी को छिडकाव के लिए भेजा गया है. इस साल मामला खौफनाक स्तर पर पहुंचने के बाद भी वे चीजों को हल्के में ले रहे हैं.” लाजपत नगर की रहने वाली मोनिका बहल की मूलचंद अस्पताल में मौत हो गयी। डेंगू शॉक सिंड्रोम के कारण मोनिका के विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया था. मौसम की शुरुआत में डेंगू की चपेट में आने वाले दक्षिण दिल्ली में बेर सराय के निवासी गोपाल झा ने कहा, ‘‘डेंगू ने इलाके को बुरी तरह चपेट में लिया। कई लोग बुखार, डेंगू या अन्य चीजों से पीडित हैं. एक दो बार ही छिडकाव हुआ है.”