मालेगांव विस्फोट : केंद्र ने विशेष लोक अभियोजक पर दबाव बनाने के आरोपों को खारिज किया
नयी दिल्ली : केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में आज इन आरोपों को खारिज किया कि बर्खास्त विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सालियान को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपियों पर ‘‘नरम रुख” अपनाने को कहा गया था. गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत […]
नयी दिल्ली : केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में आज इन आरोपों को खारिज किया कि बर्खास्त विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सालियान को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपियों पर ‘‘नरम रुख” अपनाने को कहा गया था. गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा, ‘‘मुख्य आरोप यह है कि अभियोजक से नरम रुख अपनाने को कहा गया था. मैंने खुद दस्तावेजों को देखा है. इसमें कोई सच्चाई नहीं है.”
रोहतगी ने इसके साथ ही जनहित याचिका पर सरकार और एजेन्सी की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सलियान पर आरोपियों के प्रति ‘नरम रुख’ अपनाने का दबाव डाल रही थी. इससे पहले, 11 सितंबर को शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर केंद्र और जांच एजेन्सी से जवाब तलब किया था.
सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंडेर की इस जनहित याचिका में राजग सरकार पर आरोप लगाया गया है कि वह रोहिणी पर आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाने के लिये ‘दबाव’ डालकर इस मामले में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रही है. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि कार्यपालिका न्याय प्रणाली को प्रभावित करने का प्रयास कर रही है.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रीय जांच एजेन्सी के अधिकारियों ने तत्कालीन विशेष लोक अभियोजक पर दबाव डाला.‘‘माना जा रहा है” कि ऐसा उसके ‘राजनीतिक आकाओं’ के इशारे पर ही किया गया. रोहिणी सालियान इस मामले में विशेष लोक अभियोजक थीं और उन्होंने आरोप लगाया था कि जांच एजेन्सी के अधिकारी ने उनसे कहा था कि आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनायें। उन्होंने यह भी दावा किया था कि इसी अधिकारी ने उनसे कहा था कि उसे हटा दिया जायेगा। सालियान अब राष्ट्रीय जांच एजेन्सी के पैनल के वकीलों में नहीं हैं.
इस मामले में ले कर्नल एस पी पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी आरोपी हैं. इस मामले में दायर 4000 पेज के आरोप पत्र में कहा गया है कि विस्फोट के लिये मालेगांव का चयन किया गया क्योंकि यहां अच्छी खासी मुस्लिम आबादी है. आरोप पत्र के अनुसार प्रज्ञा सिंह ठाकुर, पुरोहित और एक अन्य आरोपी स्वामी दयानंद पांडे मुख्य षडयंत्रकारी थे. आरोप पत्र के अनुसार पांडे ने पुरोहित को आरडीएक्स की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था जबकि प्रज्ञा के स्वामित्व वाली मोटरसाइकिल का इस्तेमाल विस्फोट में किया गया. मालेगांव मे 29 सितंबर, 2008 को हुये इस विस्फोट में चार व्यक्ति मारे गये थे और करीब 80 अन्य जख्मी हुये थे.