शीना बोरा हत्याकांड : आरोपियों की न्यायिक हिरासत पांच अक्तूबर तक बढ़ायी गई
मुंबई : शीना बोरा हत्याकांड के सिलसिले में एक स्थानीय अदालत ने आज मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी, उनके पूर्व पति संजीव खन्ना और कार चालक श्याम राय की न्यायिक हिरासत पांच अक्तूबर तक के लिए बढ़ा दी. इन तीनों की न्यायिक हिरासत आज खत्म हो गई थी. उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बांद्रा की मेट्रोपोलिटन […]
मुंबई : शीना बोरा हत्याकांड के सिलसिले में एक स्थानीय अदालत ने आज मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी, उनके पूर्व पति संजीव खन्ना और कार चालक श्याम राय की न्यायिक हिरासत पांच अक्तूबर तक के लिए बढ़ा दी.
इन तीनों की न्यायिक हिरासत आज खत्म हो गई थी. उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बांद्रा की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया. इन तीनों आरोपियों को शहर की अलग अलग जेलों में रखा गया है. सुरक्षा कारणों को लेकर उन्हें व्यक्तिगत रुप से अदालत में पेश नहीं किया जा सका. गौरतलब है कि उनकी गिरफ्तारी और लंबी पूछताछ के पखवाडे भर बाद सात सितंबर को अदालत ने इंद्राणी और उनके कार चालक को 21 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था जबकि खन्ना को कोलकाता ले जाया गया जहां उन्हें एक अदालत में पेश किया गया.
इंद्राणी के पूर्व पति खन्ना को भी आठ सितंबर को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया क्योंकि एक दिन पहले ही उनकी 14 दिनों की पुलिस हिरासत की अनिवार्य अवधि खत्म हो गई थी. शीना की अप्रैल 2012 में हत्या करने एवं उसका शव रायगढ के जंगलों में ठिकाने लगाने के आरोप में इंद्राणी, खन्ना और राय को गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस ने इंद्राणी के पति पीटर मुखर्जी से भी गहन पूछताछ की हालांकि वह इस मामले में आरोपी नहीं हैं. इस मामले जिन अन्य लोगों से पूछताछ की गई उनमें पीटर के बेटे राहुल मुखर्जी और इंद्राणी एवं संजीव खन्ना की बेटी विधि शामिल हैं. पुलिस ने शीना और मिखाइल बोरा के जैविक पिता सिद्धार्थ दास से भी पूछताछ की थी. पिछले हफ्ते महाराष्ट्र सरकार ने शीना बोरा हत्याकांड की जांच सीबीआई को हस्तांतरित करने का फैसला किया था.
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश मारिया की सुपरवाइजरी भूमिका पर अनिश्चितता होने के कुछ दिनों बाद यह फैसला किया गया. जांच के बीच में ही उन्हें शहर के पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया था. अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) केपी बक्शी ने आठ सितंबर को संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि केंद्रीय एजेंसी को जांच का जिम्मा सौंपने में मामले के वित्तीय पहलू पर भी गौर किया गया.