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आरक्षण पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से गर्मायी राजनीति

नयी दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण नीति की समीक्षा करने के बारे में दिये गये सुझाव से राजनीतिक विवाद छिड़ गया है जिसमें भाजपा ने इसका विरोध किया है और अपनी वैचारिक प्रेरणास्रोत संस्था के प्रमुख की इस टिप्पणी से स्वयं को अलग कर लिया है. भाजपा ने लगभग वहीं रुख अपनाया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2015 10:09 PM

नयी दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण नीति की समीक्षा करने के बारे में दिये गये सुझाव से राजनीतिक विवाद छिड़ गया है जिसमें भाजपा ने इसका विरोध किया है और अपनी वैचारिक प्रेरणास्रोत संस्था के प्रमुख की इस टिप्पणी से स्वयं को अलग कर लिया है. भाजपा ने लगभग वहीं रुख अपनाया है जो बिहार स्थित पार्टियों का रहा है कि भारत में आरक्षण एक तय हो चुका मुद्दा है.

राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने ट्वीट कर मोदी सरकार को आरक्षण समाप्त करने की चुनौती दी. ‘‘यदि आपने अपनी माई का दूध पिया है तो आप इसे खत्म कर दीजिए, सबको अपनी ताकत का पता चल जाएगा.’ कांग्रेस की ओर से भागवत के सुझाव पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आयी है लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने एक ऐसा बयान दिया है जिससे पार्टी में त्यौरियां चढ़ सकती है. तिवारी ने 21वीं शताब्दी में आरक्षण की प्रासंगिकता पर सवाल उठाये हैं और कहा है कि यदि इसकी वाकई जरुरत है तो इसे आर्थिक आधार पर दिया जाना चाहिए न कि जाति के आधार पर.

भाजपा ने कहा कि वह अनुसूचित जाति, जनजातियों और अन्य पिछडा वर्गों के आरक्षण अधिकार का 100 प्रतिशत सम्मान करती है क्योंकि यह उनके सामाजिक एवं आर्थिक विकास एवं अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए अनिवार्य है. पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जनसंघ के जमाने से ही भाजपा की यह दृढ प्रतिबद्धता रही है कि एससी, एसटी, पिछड़ी एवं अत्यंत पिछड़ी जातियों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास तथा अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए आरक्षण अनिवार्य है.

इन समूहों को दिये जा रहे आरक्षण पर पुनर्विचार करने के पक्ष में भाजपा नहीं है.’ केंद्रीय संचार मंत्री प्रसाद ने कहा कि इस बात पर विचार विमर्श स्वागत योग्य है कि ऐसे गरीबों और बाकी रह गयी पिछड़ी जातियों के लिए आगे और क्या किया जा सकता है जो विकास का लाभ नहीं ले पायी हैं. साथ ही उन्होंने यह भी जोर दिया कि भाजपा मौजूदा लाभों को जारी रखने की भरपूर समर्थक है.

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