अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एस्सर टेलीहोल्डिंग्स लि और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण की जांच से जुडे मामले में सीबीआई की अदालत द्वारा मुकदमा चलाने के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई पूरी कर ली. प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू, न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति रोहिन्टन नरिमन […]
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एस्सर टेलीहोल्डिंग्स लि और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण की जांच से जुडे मामले में सीबीआई की अदालत द्वारा मुकदमा चलाने के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई पूरी कर ली.
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू, न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति रोहिन्टन नरिमन की पीठ के समक्ष सीबीआई ने कहा कि कंपनी और उसके प्रवर्तकों रवि रुइया और अंशुमन रुइया उस मुकदमे को विफल करना चाहते है जो अग्रिम चरण में है. एस्सर टेलीहोल्डिंग्स और रुइया ने मजिस्ट्रेट की अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुये कहा है कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत आरोप नहीं है. न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले में फैसला बाद में सुनाया जायेगा.
एस्सर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे का कहना था कि मजिस्ट्रेट की अदालत को नये सिरे से उनके मामले की सुनवाई करनी चाहिए क्योंकि उन पर भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत नहीं बल्कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत धोखाधडी के आरोप हैं.
दूसरी ओर, सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम प्रकरण के मुख्य मामले के अन्य आरोपियों के साथ ही संयुक्त रुप से उनके मुकदमे की सुनवाई के अनुरोध का विरोध किया। सीबीआई का कहना था कि ऐसा करने से आपराधिक कार्यवाही में और अधिक विलंब होगा.
शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त विशेष लोक अभियोजक आनंद ग्रोवर ने कहा कि रुइया दूसरे दौर की कानूनी लडाई में संलिप्त हो रहे हैं. उनका कहना था कि एक अन्य पीठ ने एक जुलाई 2013 को विशेष अदालत के अधिकार क्षेत्र को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी थी.