मुंबई : शिवसेना ने आरक्षण नीति पर पुनर्विचार किए जाने के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के आह्वान का स्वागत किया और अपने वैचारिक गुर के विचारों को खारिज करने के लिए भाजपा की आलोचना की. शिवसेना ने कहा कि भाजपा ने ऐसा बिहार विधानसभा चुनाव के गणित को देखते हुए किया है.
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में आज छपे एक संपादकीय में कहा गया, ‘‘अपने को पीडितों-शोषितों का हितैषी कहने वाले राजनीतिक दलों ने भागवत की टिप्पणियों पर जोरदार प्रहार किया है. भागवत पर हमला करते हुए उनकी एक आंख बिहार चुनावों पर है. यहां तक कि भाजपा ने आनन-फानन में संवाददाता सम्मेलन बुलाया और भागवत की टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया. ऐसा प्रतीत होता है कि इसके पीछे भी बिहार विधानसभा चुनावों का गणित होगा.’
इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि भूमि अधिग्रहण कानून से भाजपा की ‘‘किसान विरोधी’ छवि बनी है और उसका असर बिहार विधानसभा चुनावों में संभावित है. संपादकीय में कहा गया, ‘‘दलित-महादलित राजनीति को आरक्षण पुनर्विचार का झटका न लग पाए, क्या इस डर से भाजपा ने संघ प्रमुख के बयानों से दूरी बनाई ? अब संघ के प्रति भाजपा के रवैये पर सवाल उठे हैं.’
आपको बता दें कि आरक्षण पर पुनर्विचार के लिए एक समिति बनाए जाने संबंधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान से भाजपा ने खुद को अलग कर लिया है. भाजपा की ओर से कहा गया कि वह अनुसूचित जाति, जन जाति और पिछडे वर्गों’ के आरक्षण के अधिकारों का शत प्रतिशत सम्मान करती है. पार्टी ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर पुनर्विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है और न ही भाजपा ऐसी किसी मांग का समर्थन करती है.