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लद्दाख में तीन प्रमुख सड़कों का निर्माण जल्द होगा: राजनाथ

लेह: लद्दाख में तीन प्रमुख सड़कों का निर्माण जल्द होगा जो सुरक्षा बलों को सियाचिन सहित कई महत्वपूर्ण सामरिक स्थलों तक पहुंच बनाने में मदद करती हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कार्य को तेजी से पूरा करने का आदेश दिया है. गृहमंत्री सिंह ने यह आदेश लद्दाख क्षेत्र के अपने दो दिवसीय अपने […]

लेह: लद्दाख में तीन प्रमुख सड़कों का निर्माण जल्द होगा जो सुरक्षा बलों को सियाचिन सहित कई महत्वपूर्ण सामरिक स्थलों तक पहुंच बनाने में मदद करती हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कार्य को तेजी से पूरा करने का आदेश दिया है. गृहमंत्री सिंह ने यह आदेश लद्दाख क्षेत्र के अपने दो दिवसीय अपने दौरे के बाद दिया। इस दौरे के दौरान सिंह ने चीन से लगती सीमा पर हिमालय के बर्फीले उंचाई वाले दुर्गम इलाके में कठित जीवन का प्रत्यक्ष अनुभव किया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लेह…देमचौक, चुचुल..लूमा और दुरबुक…त्रिजंक्शन को जोड़ने वाली सड़कों का निर्माण जल्द से जल्द किया जाएगा जो सियाचिन आधार शिविर तक जाती है.
सामरिक महत्व वाली अन्य सड़कों का भी निर्माण तेजी से किया जाएगा क्योंकि गृह मंत्रालय ने संबंधित एजेंसियों को जरुरी निर्देश दे दिये हैं. सिंह ने दो रातें गुजारी जिसमें से एक रात उन्होंने आईटीबीपी की सीमा चौकी दुंगती में बितायी जो कि समुद्र तल से 13648 फुट की उंचाई पर स्थित है. सिंह ने क्षेत्र में मोबाइल टेलीफोन नेटवर्क सुधारने के लिए आधारभूत ढांचे के निर्माण का भी आदेश दिया.
भारत…तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) जवानों के आवागमन के लिए 27 सड़कों के निर्माण की गृह मंत्रालय की परियोजना बहुत धीमी रही है क्योंकि पिछले वर्ष के अंत तक मात्र तीन सड़कों का निर्माण हो पाया था. सड़कों का निर्माण जम्मू कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में सीमा से लगते क्षेत्र में होना है. इस योजना के तहत 804 किलोमीटर सड़कों के निर्माण की परिकल्पना की गई है और परियोजना पर अनुमानत: 1937 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यद्यपि अभी तक मात्र 200 किलोमीटर सड़क का ही निर्माण हो पाया है.
राजनाथ ने अपने इस दौरे के दौरान हेलीकाप्टर को छोड दिया और लेह से करीब 200 किलोमीटर दूर दुंगती सड़क मार्ग से गए। गृह मंत्री को गंतव्य तक पहंुचने में कई घंटे का समय लगा जो सिंधु नदी के किनारे स्थित है और वास्तविक नियंत्रण रेखा से उसकी दूरी मात्र तीन किलोमीटर है.सिंह सीमा चौकी पर रात बिताने वाले पहले केंद्रीय गृह मंत्री बन गए जहां बहुत ही कम मूलभूत सुविधाएं हैं.गृह मंत्री और आईटीबीपी के महानिदेशक कृष्ण चौधरी दो उपलब्ध बिस्तरों पर सोये जबकि अन्य लोगों को पांच डिग्री सेल्सियस के बेहद ठंडे मौसम में स्लीपिंग बैग में सोना पडा.
सिंह ने आईटीबीपी जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार देश के दूरदराज के सीमांत क्षेत्रों में सम्पर्क सुधारने के लिए सड़कों और दूरसंचार के नेटवर्क को मजबूती प्रदान करने को प्रतिबद्ध है.उन्होंने कहा कि लद्दाख क्षेत्र में सड़क और दूरसंचार सम्पर्क के मुद्दे हैं जहां आईटीबीपी जवान अग्रिम क्षेत्रों में बहुत उचाई वाले क्षेत्रों में तैनात हैं.सिंह ने कहा कि जवानों से सीखने का अनुभव बहुत अच्छा रहा। उन्होंने कहा, ‘‘तग्यारमाले चौकी पहुंचकर मैंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति का पहली बार अनुभव किया.
इस दौरान आईटीबीपी के जवानों ने गृह मंत्री से अपने कार्य करने की कठिन और जोखिमभरी स्थितियां और अनुभव साझा किये. उन्होंने कहा कि आईटीबीपी के जवान अत्यंत कठिन स्थिति में काम कर हरे हैं. मैं आईटीबीपी के जवानों और अधिकारियों को उनके साहस, दृढता और सभी बाधाओं पर जीत पाने के उनके उत्साह को सलाम करता हूं.
‘ सिंह ने कहा कि वह इसके लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे कि उन्हें सरकार की ओर से आवश्यक सहायता और देखभाल मिले क्योंकि वे देश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. आईटीबीपी के महानिदेशक ने कहा कि आईटीबीपी का पूरा परिवार इस बात को लेकर बहुत खुश है कि गृह मंत्री ने पिछली रात दुंगती में जवानों के बीच बितायी. इससे जवानों का आत्मविश्वास और मनोबल बढ गया है.

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