नयी दिल्ली : सांसदों को अपने ही वेतन के बारे में फैसला करने की अनुमति नहीं होने की मांग के बीच सरकार ने संसद सदस्यों के वेतन-भत्तों की सिफारिश के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है. संसदीय कार्य मंत्रालय ने संसद सदस्यों के वेतन और अन्य भत्तों की सिफारिशों के लिए तीन सदस्यीय स्वतंत्र पारिश्रमिक आयोग बनाने का प्रस्ताव रखा है. यह प्रस्ताव अगले हफ्ते्ते विशाखापत्तन में आयोजित होनेवाले दो दिवसीय अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन के लिए तैयार एजेंडा नोट्स का हिस्सा है.
मंत्रालय के अनुसार, ‘संसद सदस्यों के लिए वेतन और भत्तों की सिफारिश करने के लिए एक स्वतंत्र पारिश्रमिक आयोग के गठन से न केवल सांसदों द्वारा खुद अपना वेतन तय करने को लेकर जन आक्रोश और मीडिया आलोचना कम होगी, बल्कि हमारे प्रतिनिधि लोकतंत्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और महती जिम्मेदारियों पर विचार करने का उचित अवसर भी मिलेगा.’इसमें कहा गया, ‘यह भी सुनिश्चित होगा कि सांसदों के वेतन पर निष्पक्ष, पारदर्शी और समान तरीके से सिफारिश की जायें. आयोग के गठन पर आम-सहमति बन जाने पर संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 में उचित संशोधन किया जायेगा.’