मुंबई : मुंबई में लोकल ट्रेनों में श्रृंखलाबद्ध बम ब्लास्ट के करीब नौ साल बाद एक विशेष अदालत ने बम प्लांट करने वाले पांच दोषियों को फांसी की सजा सुनायी है जबकि अन्य सात को उम्र कैद की सजा सुनायी. जिन पांच लोगों को फांसी की सजा सुनायी गयी है उनके नाम हैं कमाल अहमद अंसारी (37), मोहम्मद फैसल शेख (36), आसिफ खान (38) ,नवीद हुसैन खान (30) और एहतेशाम सिद्दीकी (30), जबकि तनवीर अहमद अंसारी (37), मोहम्मद माजिद शफी (32), शेख आलम शेख (41), मोहम्मद साजिद अंसारी (34), मुजम्मिल शेख (27), सोहेल महमूद शेख (43), जमीर अहमद शेख (36) को उम्र कैद की सजा दी गयी है. आपको बता दें कि मुंबई की कई लोकल ट्रेनों में प्रथम श्रेणी डिब्बों में 11 जुलाई, 2006 को सात आरडीएक्स बम विस्फोट हुए थे जिनमें 188 लोग मारे गये और 829 घायल हो गयेथे.
पीडितों को मिला न्याय
पूर्व एटीएस चीफ केपी रघुवंशी ने कहा कि कोर्ट के फैसले से पीडितों को न्याय मिला है. यह मामला 9 साल से चल रहा था जिसके बाद फैसला आया. एटीएस ने इस मामले में सारे तथ्य कोर्ट के समक्ष रखे थे जिसके बाद इसका मूल्यांकन किया गया. उन्होंने कहा कि इस धमाके में एक पाकिस्तानी मारा गया था जबकि पुलिस की कार्रवाई में एक की मौत हुई थी. उन्होंने कहा कि इस फैसले से लोगों का भरोसा पुलिस और कोर्ट पर बढेगा. दोषियों का यह अधिकार है कि वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए. आपको बता दें कि जिस वक्त जांच चल रही थी उस वक्त केपी रघुवंशी इस टीम को नेतृत्व कर रहे थे.
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे दोषी
मुंबई ट्रेन विस्फोटों के मामले में विशेष मकोका अदालत के द्वारा 12 दोषियों में से पांच को मौत की सजा और सात दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ वे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे. उन्होंने कहा कि निर्दोषों को सजा दी गयी है.वकील ने कहा कि एटीएस ने कोर्ट को गुमराह किया है. सजा देकर कोर्ट ने गलती की है.
क्या है मामला
11 जुलाई 2006 को मुंबई में 7 सिलसिलेवार धमाका हुए . इस हमले में 188 लोग मारे गये थे और 824 लोग घायल हुए थे. ब्लास्ट शाम 6 बजकर 24 मिनट में हुई जो 11 मिनट तक लगातार चलती रही. हमले का वक्त शाम को चुना गया क्योंकि आमतौर पर शाम को ही मुंबई के लोकल ट्रेन में लाखों लोग दफ्तर से घर वापस आते है. विस्फोट खार -रोड सांताक्रूज, जोगेश्वरी-माहिम जंक्शन,मीरा रोड-भयंदर, माटुंगा -माहिम और बोरेवाली जंक्शन के बीच हुई. हमले प्रेशर कुकर बम से किये गये थे. हमले में आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया.
13 पाकिस्तानी नागरिक
एंटी टेरर स्कवैड ने इस घटना में जांच की जिसमें 30 आरोपी सामने आये, जिसमें से 13 की पहचान पाकिस्तानी नागरिक के रूप में हुई, जबकि बाकी 17 की पहचान भारतीय नागरिक के रूप में हुई . इस मामले में चार दोषी भारतीयों की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है. जबकि 13 पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं हो सकी है.
19 अगस्त 2014 को पूरी हुई सुनवाई
सुनवाई के दौरान 5,500 पन्नों के प्रत्यक्षदर्शियों का बयान दर्ज किया गया. 19 अगस्त 2014 को सुनवाई पूरी हुई. 11 सितम्बर 2015 को 12 आरोपियों को दोषी करार दिया गया, जबकि 1 आरोपी को बरी कर दिया गया. सभी हमलावार आतंकी संगठन ‘सिमी’ से जुड़े हुए थे. मुंबई धमाके के सुनवाई होने में 9 साल लग गये. सरकारी वकील ने 192 गवाह को पेश किया जबकि बचाव पक्ष की ओर से 51 गवाहों को पेश किया गया. एटीएस के मुताबिक मुंबई बम धमाका का खास मकसद गुजरात दंगे का बदला लेना और खास कम्युनिटी को निशाना बनाना था. विशेष मकोका न्यायधीश यतीन डी शिंदे ने पिछले 19 अगस्त को मुंबई धमाके से जुड़े मुकदमे का सुनवाई पूरा किया.