नयी दिल्ली : मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता एवं वितरण को लेकर अक्सर मिलने वाली शिकायतों की पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने कल ‘मध्याह्न भोजन के नियमों’ को अधिसूचित कर दिया. इसके तहत अब मान्यता प्राप्त लैब में हर महीने मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता की औचक जांच की जायेगी, साथ ही किन्ही विशिष्ट कारणों से भोजन की आपूर्ति नहीं किये जाने पर लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता देय होगा.
मध्याह्न भोजन के संदर्भ में नये नियम में कहा गया है कि इसका कोष समाप्त होने पर स्कूल अस्थायी तौर पर मध्याह्न भोजन के वास्ते अन्य कोषों का उपयोग कर सकेंगे. देशभर में 10.5 करोड़ स्कूली बच्चे इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं. मानव संसाधन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने कल मध्याह्न भोजन नियम 2015 को अधिसूचित कर दिया है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधानों में मध्याह्न भोजन समेत कल्याण योजनाएं शामिल हैं.
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मध्याह्न भोजन नियमों को राज्यों एवं अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ विचार विमर्श करके अंतिम रुप दिया है और यह भारत के राजपत्र में अधिसूचित होने की तिथि से प्रभाव में आयेगा. नियम में कहा गया है कि अगर किसी स्कूल में लगातार तीन दिन या महीने में पांच दिन भोजन नहीं उपलब्ध कराया जाता है तब ऐसी स्थिति के लिए राज्य सरकार किसी व्यक्ति या एजेंसी की जवाबदेही तय करेगी. सरकार का मानना है कि इन नियमों और अनुपालन एजेंसियों द्वारा इन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने से पूरे देश में स्कूलों में नियमित तौर पर बेहतर ढंग से बच्चों को भोजन मिल सकेगा, साथ ही भोजन की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.
मध्याह्न भोजन 2015 के नियम में कहा गया है कि अगर स्कूल में मध्याह्न भोजन की मद में अस्थायी तौर पर खाद्यान्न, भोजन पकाने की राशि आदि उपलब्ध नहीं हो तब स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्राधानाध्यापिका को मध्याह्न भोजन को जारी रखने के लिए स्कूल में मौजूद किसी अन्य कोष का उपयोग करने का अधिकार दिया जायेगा. इसी नियम के अनुसार अगर किसी स्कूल में खाद्यान्न, भोजन पकाने के लिए राशि, ईंधन, रसोइया आदि उपलब्ध नहीं होने के कारण किसी दिन बच्चों को भोजन नहीं मिलता है तब राज्य सरकार आने वाले महीने की 15 तारीख तक खाद्य सुरक्षा भत्ता उपलब्ध करायेगी.
पोषक मानक सुनिश्चित करने के लिए मान्यता प्राप्त लैब में बिना बारी के मासिक आधार पर पकाये गए भोजन की गुणवत्ता की जांच की जायेगी. राज्य का खाद्य एवं औषधि प्राधिकार विभाग पोषक मानकों की जांच के लिए भोजन के नमूने एकत्र कर सकते हैं. स्कूलों में भोजन पकाने के लिए साफ सफाई की सुविधा पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई है और भोजन केवल स्कूलों में ही परोसा जायेगा. इसमें कहा गया है कि शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत स्कूल प्रबंधन समिति मध्याह्न भोजन योजना की देखरेख करेंगे साथ ही वे भोजन की गुणवत्ता एवं साफ सफाई का भी ध्यान रखेंगे.
नियमों में कहा गया है कि पहली से आठवीं कक्षा तक पढने वाले छह से 14 वर्ष का प्रत्येक छात्र गर्म पके भोजन का हकदार है. इसमें प्राथमिक स्तर का बच्चा 450 कैलोरी पोषक मानक एवं 12 ग्राम प्रोटीन युक्त भोजन प्राप्त करने तथा उच्च प्राथमिक स्तर का बच्चा 700 कैलोरी पोषक मानक एवं 20 ग्राम प्रोटीन युक्त भोजन का हकदार है.