खेमका की शिकायत पर सीबीआई ने शुरु की जांच

नयी दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भंडाफोड़ करने वाले आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की उस शिकायत पर प्रारंभिक जांच शुरु कर दी है जिसमें नेफेड और एनसीसीएफ द्वारा हरियाणा बीज विकास निगम (एचएसडीसी) को गेहूं के बीजों की आपूर्ति में अनियमितता का आरोप लगाया गया है. 18 जुलाई 2012 से 4 मार्च 2013 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2013 4:11 PM

नयी दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भंडाफोड़ करने वाले आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की उस शिकायत पर प्रारंभिक जांच शुरु कर दी है जिसमें नेफेड और एनसीसीएफ द्वारा हरियाणा बीज विकास निगम (एचएसडीसी) को गेहूं के बीजों की आपूर्ति में अनियमितता का आरोप लगाया गया है.

18 जुलाई 2012 से 4 मार्च 2013 के बीच एचएसडीसी के प्रबंध निदेशक रहे खेमका ने सीबीआई को एक रिपोर्ट दी थी और एचएसडीसी को ज्यादा मूल्य पर बीज बेचने के लिए राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) तथा राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी.

सीबीआई के प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने एक बयान में कहा, सीबीआई ने एचएसडीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक की शिकायत पर एचएसडीसी में गेहूं के बीजों की खरीद में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए प्रारंभिक मामला दर्ज किया है. आरोप हैं कि एनसीसीएफ और नेफेड ने एचएसडीसी को ऊंची दरों पर बीजों की आपूर्ति की जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. आरोप लगाया गया है कि एचएसडीसी सहकारी एजेंसियों एनसीसीएफ और नेफेड के पास पर्याप्त भंडार नहीं होने पर निजी आपूर्तिकर्ताओं सेगेहूंका करीब 10,000 टन बीज खरीदना चाहती थी. बीज उपलब्ध न होने के बावजूद दोनों सहकारी एजेंसियों ने कथित तौर पर बीज आपूर्ति की पेशकश की जिसके बाद एचएसडीसी ने निजी आपूर्तिकर्ताओं से संपर्क नहीं किया.

1991 बैच के आईएएस अधिकारी खेमका ने आरोप लगाया कि इन सहकारी एजेंसियों ने कथित रुप से बिचौलियों से गेहूं के गैर प्रसंस्कृत बीज प्राप्त किए जिन्होंने इन बीजों को निजी कंपनियों से खरीदा था. इन बीजों को एचएसडीसी को 2000 रपए प्रति क्विंटल से अधिक की कीमत पर बेचा गया जबकि यदि निगम ने बीज सीधे निजी आपूर्तिकर्ताओं से खरीद लिए जाते तो उसे 1600रुपयेप्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान करना होता.

खेमका ने अपनी शिकायत में कहा था कि अधिक कीमत पर 10,000 टन बीज खरीदने से सरकारी खजाने को पांच करोड़रुपयेका नुकसान हुआ. इन बीजों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत रियायती दर पर किसानों को दिया जाना है.

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