नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज स्पष्ट कर दिया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कोयला घोटाला मामले में उन्हें आरोपी के तौर पर तलब करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर इस तरह के मामलों की सुनवाई करने वाली एक विशेष पीठ सुनवाई करेगी. प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह व्यवस्था दी. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पूर्व प्रधानमंत्री की तरफ से पेश हुए और सिंह की ओर से दायर अपील की जल्द सुनवाई की मांग की.
सिब्बल ने कहा, ‘‘यह ऐसा मामला है जो पूरी तरह से कोयला आवंटन मामले से संबद्ध नहीं है.” पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे कोयला पीठ के हवाले कर देंगे और आप पीठ के सामने जाएं और उन्हें इस बात के लिए मनाएं कि यह कोयले से जुडा मामला नहीं है.” पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा भी हैं, ने कहा कि इस मामले को अगले सप्ताह सूचीबद्ध नहीं किया जाएगा. इस घटनाक्रम के कुछ ही देर बाद हिंडाल्को की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ के सामने याचिका का जिक्र किया और इसपर दीपावली के बाद सुनवाई की मांग की. सिब्बल ने इसका विरोध किया. साल्वे ने कहा, ‘‘ये सब वही मामले हैं. इनपर एक साथ सुनवाई होनी चाहिए.” एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने भी साल्वे की बात का समर्थन किया. वेणुगोपाल मामले में एक अन्य आरोपी पूर्व कोयला राज्य मंत्री संतोष बरगोडिया की तरफ से अदालत में पेश हुए थे.
साल्वे के आग्रह पर सहमत हो कर पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को नियत कर दी. बाद में पीठ ने वकीलों को सुनवाई की तारीख के संदर्भ में आम सहमति बनाने और पीठ को उससे अवगत कराने के लिए कहा. पहले उच्चतम न्यायालय ने 21 सितंबर के कामकाज की अपनी सूची में से सिंह और अन्य लोगों द्वारा दाखिल अपीलों के जत्थे को हटाने के लिए आदेश दिया था. एक अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में आरोपी के तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री को सम्मन भेजने के निचली अदालत के आदेश और उसके समक्ष सुनवाई पर रोक लगा दी थी. हिंडाल्को के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिडला, पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख, हिंडाल्को के दो अधिकारियों – शुभेन्दु अमिताभ और डी भट्टाचार्य तथा कंपनी को भी राहत दी गई थी. हिंडाल्को के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिडला की कंपनी को वर्ष 2005 में ओडिशा में तालाबीरा–दो कोयला ब्लॉक दिया गया था. निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि समन करने के आदेश की वजह से होने वाली महत्वपूर्ण सुनवाइयों पर भी रोक रहेगी.
विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने 11 मार्च को सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी थी और सिंह तथा अन्य पांच को बतौर आरोपी समन किया था. सम्मन जारी करते हुए निचली अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि उस आपराधिक षड्यंत्र को, जिसे शुरू में बिडला, हिंडाल्को और उसके दो अन्य अधिकारियों ने रचा था, बाद में पारेख को शामिल कर और फिर तत्कालीन कोयला मंत्री मनमोहन सिंह को शामिल कर आगे बढाया गया. अदालत ने कहा था कि ‘‘हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए सिंह की मंजूरी से प्रथम दृष्टया निजी कंपनी को लाभ मिला और इसकी वजह से सरकारी स्वामित्व वाले पीएसयू नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएलसी) को घाटा हुआ.