नयनतारा के बाद अब वाजपेयी ने भी लौटायी साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार, मोदी की चुप्‍पी पर सवाल उठाया

नयी दिल्ली : लेखक नयनतारा सहगल के बाद ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष अशोक वाजपेयी ने ‘जीवन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमले’ के खिलाफ साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है. वाजपेयी ने दादरी में एक व्यक्ति की पीट पीटकर हत्या और तर्कवादियों की श्रृंखलाबद्ध हत्याओं पर दुख जताते हुए इन घटनाओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2015 2:39 PM

नयी दिल्ली : लेखक नयनतारा सहगल के बाद ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष अशोक वाजपेयी ने ‘जीवन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमले’ के खिलाफ साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है. वाजपेयी ने दादरी में एक व्यक्ति की पीट पीटकर हत्या और तर्कवादियों की श्रृंखलाबद्ध हत्याओं पर दुख जताते हुए इन घटनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार चुप्पी पर सवाल उठाया है. वाजपेयी ने आज कहा, ‘सहगल सही हैं. वह (मोदी) बहुत ही बातूनी प्रधानमंत्री हैं. वह देश से यह क्यों नहीं कहते कि देश के बहुलतावाद की किसी भी कीमत पर रक्षा की जाएगी?’

हिंदी कवि एवं साहित्यिक सांस्कृतिक समीक्षक 74 वर्षीय वाजपेयी ने केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा सहित वरिष्ठ नेताओं के बयानों को अस्वीकार किया और कहा कि इससे देश के ‘बहु सांस्कृतिक एवं बहु धार्मिक तानेबाने का महत्व कम होता हैं.’ उन्होंने कहा, ‘सांस्कृतिक मंत्री की ओर से औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड करने को लेकर टिप्पणी हुई थी. वह कहते हैं कि कलाम मुस्लिम होने के बावजूद एक महान राष्ट्रवादी थे.’

उन्होंने कहा, ‘इस तरह के बयान देश के बहु सांस्कृतिक एवं बहु धार्मिक तानेबाने के महत्व को घटाते हैं. लेखक विरोध करने के अलावा और क्या कर सकते हैं.’ कल जवाहर लाल नेहरु की 88 वर्षीय भांजी नयनतारा सहगल ने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की थी. वाजपेयी ने कहा, ‘यह उन लेखकों और बुद्धिजीवियों के साथ एकजुटता के लिए है जिनकी दिन दहाडे हत्या हो रही है.’ उन्होंने कहा, ‘साहित्य अकादमी इस चुनौती का सामना करने में असफल रहा है. जो कुछ लेखकों की स्वतंत्रता के साथ हो रहा है, उन्होंने उसके खिलाफ प्रदर्शन नहीं किया. लेखक समुदाय को विरोध में खडे होना चाहिए.’

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