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हरियाणा में पंचायत चुनाव को लेकर मचा बवाल , राज्य सरकार ने रखी कई शर्तें
चंडीगढ़:पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता के मामले पर बवाल मचा है. राज्य सरकार का तर्क है कि मुखिया के चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता का होना बेहद अहम है. इसके अलावा सरपंच उपसरपंच भी वही बन सकता है जिसके दो से अधिक बच्चे ना हों. सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा निगम (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 1994 […]
चंडीगढ़:पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता के मामले पर बवाल मचा है. राज्य सरकार का तर्क है कि मुखिया के चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता का होना बेहद अहम है. इसके अलावा सरपंच उपसरपंच भी वही बन सकता है जिसके दो से अधिक बच्चे ना हों. सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा निगम (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 1994 को सही ठहराया था. इसके तहत हरियाणा सरकार ने दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद का चुनाव लड़ने पर अयोग्य ठहराया था.
दरअसल, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बड़े सवाल उठा दिए. कोर्ट ने पूछा कि शैक्षणिक योग्यता पंचायत चुनाव में ही सदस्यों के लिए क्यों हैं. सासंदों और विधायकों के लिए यह नियम क्यों नहीं लागू होते. सुप्रीम कोर्ट को अपनी रोक हटा लेनी चाहिए, क्योंकि इससे परेशानी और बढ़ गयी है. किसी ने पुराने नियमों के मुताबिक नामांकन दाखिल किया है तो किसी ने नए के मुताबिक. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर बाद में आदेश जारी कर सकता है.
राज्य सरकार ने चुनाव लड़ने के लिए कई शर्त रखे हैं. चुनाव लड़ने के लिए सामान्य वर्ग के लिए दसवीं पास, दलित और महिला के लिए आठवीं पास होना जरूरी है. इसके अलावा बिजली बिल के बकाया न होने और किसी केस में दोषी करार न होने के साथ में घर में टायलेट होने की शर्त है.
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