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नेपाल का नाकेबंदी संबंधी शिकायत में कोई दम नहीं :भारत

नयी दिल्ली: भारत को नेपाल की शिकायतों में कोई दम नजर नहीं आता है जिसमें कहा जा रहा है कि उसकी नाकेबंदी की जा रही है और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से वंचित किया जा रहा है. उधर, नेपाल में उसके संविधान को लेकर परेशानी जारी है, जिसे यहां ‘कठोर’ बताया जा रहा है. भारत […]

नयी दिल्ली: भारत को नेपाल की शिकायतों में कोई दम नजर नहीं आता है जिसमें कहा जा रहा है कि उसकी नाकेबंदी की जा रही है और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से वंचित किया जा रहा है. उधर, नेपाल में उसके संविधान को लेकर परेशानी जारी है, जिसे यहां ‘कठोर’ बताया जा रहा है.

भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने एक बार फिर अपने देश की भारत द्वारा नाकेबंदी किए जाने की बात को दोहरायी . उन्होंने दावा किया कि भारत द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नहीं करने दी जा रही है. इस आरोप का नई दिल्ली ने खंडन किया है.
भारत की तरफ से नेपाल में 5375 मालवाहक वाहन प्रवेश का इंतजार कर रहे हैं लेकिन आगे नहीं बढ पा रहे हैं क्योंकि नेपाल की तरफ वाली सीमा पर समस्या है.भारत ने कहा कि नेपाल के नए संविधान के बारे में भारतीय मूल के मधेसी समुदाय की चिंताएं वैध हैं और उनका अब निराकरण किए जाने की आवश्यकता है. ऐसा नहीं करने पर परेशानी आती रहेगी.
नई दिल्ली का मानना है कि नेपाल का नया संविधान ‘जीवंत दस्तावेज’ नहीं है जिसे कानूनी तौर पर संशोधित किया जा सकता है और इससे संबंधित चिंताओं का निराकरण करने के लिए ‘विश्वसनीय राजनैतिक प्रक्रिया’ की आवश्यकता है. हालांकि, यहां अधिकारी इस मुद्दे पर नेपाल में विभिन्न राजनैतिक हितधारकों के बीच चल रही वार्ता के सकारात्मक नतीजे के बारे में आशान्वित हैं.
मौजूदा संकट पर टिप्पणी करते हुए उपाध्याय ने कहा, ‘‘जब हमसे कहा जाता है कि अगर नाकेबंदी समाप्त नहीं होती है तो—तब हम कहते हैं कि हमें बाहर की दुनिया की ओर देखना होगा.
नेपाल तीन तरफ से भारत से घिरा है. एक तरफ हिमालय है जिधर काफी दुर्गम क्षेत्र है. हमारी प्राथमिकता भारत सरकार की मदद से सामान्य स्थिति बहाल करने की होगी.” उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह :आसान बनाना: नहीं होता है तो हमें दुनिया की ओर देखना होगा. यह हमारी लाचारी होगी. लेकिन चीजें वहां तक नहीं पहुंचेगी. और यह भी हमारी आकांक्षा है कि (चीजें उस स्तर तक नहीं पहुंचें). एक तरफ आपके पास भारत है और दूसरी तरफ चीन है. इसलिए, संपूर्ण विश्व के संदर्भ में सिर्फ ये दो देश हमारे लिए आ सकते हैं.” नेपाल में अशांति भारत-नेपाल संबंधों में ‘तनाव’ पैदा कर रहा है और नई दिल्ली में उसे चीन को कुछ ‘चारा’ प्रदान कर सकने के तौर पर देखा जा रहा है. इस बीच, भारत हिमालयी देश में संकट पर यूरोपीय संघ जैसे समूहों और अन्य देशों के साथ चर्चा कर रहा है.

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