कोल ब्‍लॉक : पीएमओ ने माना हिंडाल्‍को को मंजूरी प्रधानमंत्री ने ही दिया

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक के विवादास्पद आवंटन मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए आज निर्णय को उचित बताते हुए उसका बचाव किया और कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसे मंजूरी उनके समक्ष रखी गई मामले की पात्रता के आधार पर दी थी. पीएमओ ने कुमार मंगलम बिड़ला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2013 6:54 AM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक के विवादास्पद आवंटन मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए आज निर्णय को उचित बताते हुए उसका बचाव किया और कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसे मंजूरी उनके समक्ष रखी गई मामले की पात्रता के आधार पर दी थी.

पीएमओ ने कुमार मंगलम बिड़ला के नेतृत्व वाले हिंडाल्को सहित एक संयुक्त उपक्रम को किये गए कोयला ब्लाक आवंटन में किसी तरह के अपराध से इनकार किया. प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह स्पष्ट किया कि सिंह सक्षम प्राधिकार थे, जिन्होंने वर्ष 2005 में कोयला मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्वीकार किया कि आवंटन को लेकर एक अक्तूबर 2005 वाला अंतिम निर्णय पड़ताल समिति की सिफारिश से अलग था. प्रधानमंत्री कार्यालय ने सिलसिलेवार घटनाक्रमा का ब्योरा जारी किया जिसका आशय था कि प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित किये गए मानदंडों में बिड़ला और ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा पक्ष रखे जाने के चलते नरमी बरती गई थी.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मुद्दे पर हंगामे के बीच जारी एक बयान में कहा, प्रधानमंत्री इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि इस संबंध में किया गया अंतिम निर्णय पूरी तरह से उचित था और यह उनके समक्ष रखे गए मामले से संबंधित पात्रता के आधार पर किया गया. प्रधानमंत्री कार्यालय ने निर्णय का बचाव करते हुए सिंह द्वारा इससे पहले दिये गए बयानों का हवाला दिया कि सरकार के पास छुपाने को कुछ नहीं है और वह सीबीआई के साथ पूरा सहयोग करेगी जो इस मामले की जांच कर रही है.

ओड़िशा में तालाबिरा कोयला ब्लॉक का आवंटन हंगामे के केंद्रबिंदु में है जिसमें सीबीआई ने चार दिन पहले आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम और पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

पारेख ने कहा है कि यदि वह षड्यंत्र के आरोपी थे तो प्रधानमंत्री को भी एक आरोपी बनाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने इस संबंध में संशोधित निर्णय को मंजूरी दी थी। इस पर भाजपा ने प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की मांग कर दी.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्वीकार किया कि आवंटन को लेकर अंतिम निर्णय एक परिवर्तित सिफारिश पर किया गया. प्रधानमंत्री कार्यालय ने अप्रत्यक्ष तौर पर बिड़ला के दो पत्रों की ओर इशारा करते हुए कहा, ऐसा एक पक्ष की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय में अपना पक्ष रखे जाने के बाद किया गया जिसे कोयला मंत्रालय को संदर्भित कर दिया गया था.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि सीबीआई इस मामले की जांच करने के लिए मुक्त है क्योंकि हो सकता है कि उसे आवंटन के बाद के कुछ दस्तावेज हाथ लगे हों.

विस्तृत घटनाक्रमों में पीएमओ ने कहा, प्रधानमंत्री को मामले की अनुशंसा करने के दौरान यह साफ तौर पर प्रकट हुआ कि (1) ओड़िशा सरकार ने हिंडाल्को को तालाबीरा-2 खदान को आवंटित करने के लिए जोरदार सिफारिश की थी और स्क्रीनिंग समिति में इसका समर्थन किया. हिंडाल्को को तालाबीरा-2 आवंटित करने को शीर्ष प्राथमिकता दिए जाने के इस रुख को ओडिशा ने दोहराया था.

(2) एमएमडीआर अधिनियम के तहत कोयला के लिए खनन पट्टा केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के साथ राज्य सरकार देती है. इसलिए अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार खनन अधिकारों को साझा करने के संघीय ढांचे के तहत केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को किसी आवंटी को खनन पट्टा देने से पहले सहमति देनी होती है. उसके अनुसार ओड़िशा सरकार की जोरदार अनुशंसा महत्वपूर्ण है और इसलिए मामले में फैसला करने के दौरान उसपर उचित विचार किया जाना चाहिए.

(3) अनुशंसा में कहा गया था, मंत्रालय का एनएलसी और हिंडाल्को को तालाबीरा-2 और तीन के लिए संयुक्त उपक्रम में उत्पादन का 30 फीसदी हिस्सा आवंटित करने और शेष कुल उत्पादन का 70 फीसदी हिस्सा एमसीएल द्वारा रखे जाने के सुझाव में दम था और इसलिए उसपर स्वीकार करने के लिए विचार किया जा सकता है.

अनुशंसा में कहा गया था, एनएलसी के लिए संयुक्त उपक्रम में हिंडाल्को की हिस्सेदारी के लिए दिशा-निर्देशों में ढील की आवश्यकता होगी जिसे प्रधानमंत्री ने पहले स्वीकृत किया था लेकिन इसपर विचार किया जा सकता है क्योंकि एनएलसी और महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड अनुषंगी पीएसयू हैं और कोयले के लिए एनएलसी की आवश्यकताओं की पूर्ति महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड की उत्पादन की 70 फीसदी हिस्सेदारी से की जा सकती है. यह पूरी तरह से दोनों सीपीएसयू की अपनी बिजली परियोजना स्थापित करने के लिए कोयला जरुरतों को पूरा करेगा और सीपीएसयू के हितों की रक्षा करेगा.

पीएमओ ने अनुशंसा का हवाला देते हुए कहा, इन दलीलों और मंत्रालय के तर्कों के आधार पर यह प्रस्ताव दिया गया कि प्रधानमंत्री : (ए) तालाबीरा-2 और तीन को एमसीएल: एनएलसी: हिंडाल्को के 70: 15:15 के अनुपात में स्वामित्व वाले संयुक्त उपक्रम को आवंटित करने की मंजूरी दे सकते हैं जिसके संबंध में मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित अन्य पहलू इस प्रकार हैं.

(बी) हिंडाल्को के मौजूदा दीर्घावधि के कोल लिंकेज की समीक्षा की जा सकती है और परियोजना के लिए हिंडाल्को की जरुरतों और संयुक्त उपक्रम द्वारा तालाबीरा-2 और 3 में किए गए कोयला के खनन में हिंडाल्को की हिस्सेदारी पर गौर करते हुए उपयुक्त तरीके से उसमें कमी की जा सकती है. उसमें कहा गया है, प्रधानमंत्री ने प्रस्ताव को एक अक्तूबर 2005 को मंजूरी दी.

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