गैर सहायता प्राप्त स्कूल मध्याह्न भोजन योजना के दायरे में

नयी दिल्ली : कुछ समय पूर्व बिहार में हुई मध्याह्न भोजन त्रासदी और कई अन्य स्थानों पर खाना खाने से बच्चों के बीमार पड़ने की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस योजना को चाकचौबंद बनाने के साथ ही इसके दायरे में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक बहुल जिलों में निजी तौर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2013 11:01 AM

नयी दिल्ली : कुछ समय पूर्व बिहार में हुई मध्याह्न भोजन त्रासदी और कई अन्य स्थानों पर खाना खाने से बच्चों के बीमार पड़ने की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस योजना को चाकचौबंद बनाने के साथ ही इसके दायरे में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक बहुल जिलों में निजी तौर चलाये जा रहे गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को भी लाने को मंजूरी दी है.

मानव संसाधन विकास मंत्रसलय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की हाल की बैठक में मध्याह्न भोजन योजना की निगरानी के लिए उच्चाधिकार समिति के गठन को मंजूरी दी गई है, जो आपूर्ति किये गए भोजन की गुणवत्ता को देखेगी.

उन्होंने कहा कि यह समिति मध्याह्न भोजन योजना की प्रभावी निगरानी के साथ इसकी देखरेख करेगी. मध्याह्न भोजन योजना के तहत गुणवत्ता एवं स्वच्छता के प्रति हमारा रुख यह है कि इसमें उल्लंघन को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

अधिकारी ने कहा कि योजना आयोग ने मध्याह्न भोजन योजना का विस्तार करने को मंजूरी प्रदान की है और इसके दायरे में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक बहुल जिलों में निजी तौर पर चलाये जा रहे गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को लाने का निर्णय किया है.

मंत्रालय का मानना है कि इस पहल से अल्पसंख्यकों की अच्छी खासी आबादी वाले राज्यों एवं विशेष केंद्रित जिलों में 29116 स्कूलों के 60.37 लाख बच्चों को फायदा होगा. इस पर 866.54 करोड़ रुपये लागत का अनुमान है. मंत्रालय ने मध्याह्न भोजन योजना पर ठीक ढंग से अमल नहीं करने वाले 144 जिलों की पहचान की है जिनमें तमिलनाडु के 15 जिले और राजस्थान के 14 जिले शामिल हैं.

एमडीएम योजना पर खराब प्रदर्शन करने के संदर्भ में ओडिशा के 9 जिले, महाराष्ट्र के 5, केरल के सात, पंजाब के नौ, छत्तीसगढ़ के सात, आंध्रप्रदेश के चार, पश्चिम बंगाल के चार, त्रिपुरा के तीन और कर्नाटक के दो जिले शामिल हैं. 2011.12 में मध्याह्न भोजन योजना के दायरे में 69 प्रतिशत बच्चों को लाया गया जबकि 2012.13 की प्रथम तिमाही में यह बढ़कर 70 प्रतिशत हो गई.

मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, संख्या के हिसाब से इस अवधि में एमडीएम योजना के दायरे में आने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. 2011.12 में इस योजना के दायरे में आने वाले बच्चों की संख्या 10.36 करोड़ दर्ज की गई थी जो 2012.13 की प्रथम तिमाही में घटकर 9.96 करोड़ दर्ज की गई.

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