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कसूरी ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अहसास होगा कि वाजपेयी का रास्ता सही था

मुंबई : मुंबई में शिवसेना के विरोध के बीच आज पाकिस्‍तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की पुस्‍तक का विमोचन किया गया. इस मौके पर कई नेता और बॉलीवुड स्‍टार पहुंचे. ज्ञात हो मुंबई में इस पुस्‍तक के विमोचन का विरोध करते हुए शिवसेना ने पूर्व भाजपा नेता सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर […]

मुंबई : मुंबई में शिवसेना के विरोध के बीच आज पाकिस्‍तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की पुस्‍तक का विमोचन किया गया. इस मौके पर कई नेता और बॉलीवुड स्‍टार पहुंचे. ज्ञात हो मुंबई में इस पुस्‍तक के विमोचन का विरोध करते हुए शिवसेना ने पूर्व भाजपा नेता सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर कालिख पोत दिया और विरोध दर्ज कराया.कसूरी ने पुस्तक विमोचन के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास का वादा किया है लेकिन हमें शांति चाहिए. वह महसूस करेंगे की अटल बिहारी वाजपेयी का रास्ता सही था.

कसूरी ने मुंबई को जिन्ना और महात्मा गांधी का शहर बताया . उन्होंने कहा कि मेरी किताब का साइज देखकर ना डरें मैंने इसमें कुछ भी गलत नहीं लिखा. यह पुस्तक कई लोगों को भेजी गयी है. मेरी किताब में महत्वपूर्ण युद्धों का जिक्र है. 850 पन्नों में 370 पन्ने भारत पर लिखे गये हैं. कसूरी ने कहा, विभाजन के वक्त जो गलतियां रह गयी है उसे सुधारने हमारे बस में है.

शिवसेना की ओर से की गयी कार्रवाई का देश भर में निंदा किया जा रहा है. यह विवाद का विषय बन गया है कि क्‍या शिवसेना के इस कार्रवाई से देश का सिर निचा हुआ है. इधर शिवसेना लगातार अपने स्‍टैंड पर खड़ा है और सुधींद्र कुलकर्णी को ‘पाकिस्तानी एजेंट’ बताया.

शिवसेना नेता संजय राउत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जिस व्यक्ति (सुधींद्र कुलकर्णी) ने मुंबई में कसूरी के पुस्तक विमोचन का आयोजन किया, वह एक पाकिस्तानी एजेंट है. फडनवीसजी (महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री) ने सार्वजनिक रुप से कहा है कि खुर्शीद को अपने कार्यक्रम में भारत विरोधी कोई विचार रखने की इजाजत नहीं दी जाएगी और यदि वह ऐसा करते हैं तो आयोजक इसके लिए जिम्मेदार होगा. हम मुख्यमंत्री के रुख का स्वागत करते हैं. ‘ राउत ने कहा, ‘‘कुलकर्णी के चेहरे पर कालिख पोतना एक नरम विरोध है.
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने फडनवीस को एक पत्र लिख कर हर सबूत दिए हैं जो कसूरी के भारत विरोधी रुख का खुलासा करता है. उन्होंने दावा किया कि पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का विरोध करने का शिवसेना का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है. राउत ने दावा किया कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री रहने के दौरान खुर्शीद भारत विरोधी सभी चरमपंथी संगठनों को अपने कश्मीर एजेंडा के लिए एकजुट करने के लिए जिम्मेदार थे.
राउत ने कहा, ‘‘जब वह विदेश मंत्री थे, उन्होंने भारत विरोधी हर काम किया. हमने सब दस्तावेज मुख्यमंत्री को सौंप दिया है और अब उनसे उम्मीद है कि वह भारत विरोधी किसी रुख की इजाजत नहीं देने के अपने शब्द पर कायम रहेंगे तथा हस्तक्षेप करेंगे एवं कार्यक्रम को रोकेंगे.’राउत ने दावा किया कि मौजूदा यात्रा के दौरान भारत पर खुर्शीद का रुख उससे पूरी तरह से अलग है जो उनका पाकिस्तान में रहने के दौरान होता है.
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री रहने के दौरान (अटल बिहारी) वाजपेयी को इस आदमी के चलते युद्ध के बारे में बात करने के लिए मजबूर होना पड़ा था.’ उन्होंने कहा कि शिवसेना पाकिस्तानी नागरिकों से जुडे सभी कार्यक्रमों का बहिष्कार करना तब तक जारी रखेगी जब तक कि यह पडोसी देश आतंकवाद को प्रायोजित करना नहीं बंद कर देता. गौरतलब है कि आज दिन में कुलकर्णी के चेहरे पर कालिख पोत दी गई. हाल ही में शिवसेना के सख्त विरोध के चलते पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली का महाराष्ट्र में कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था.
* कौन हैं सुधींद्र कुलकर्णी
1996 में भाजपा से नाता जोड़ने वाले सुधींद्र आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीबी माने जाते थे. बताया जाता है कि कुलकर्णी वाजपेयी के लिए भाषण लिखते थे. औपचारिक तौर पर उन्होंने पीएमओ में कम्युनिकेशन ऐंड रिसर्च के डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली थी. कुलकर्णी उस समय तब विवादों में आये जब लाल कृष्‍ण आडवाणी पाकिस्‍तान में जाकर जिन्‍ना को सेक्‍युलर कहा था. बताया जाता है कि आडवाणी के इस भाषण को सुधींद्र ने ही लिखा था. हालांकि विरोध के बाद उन्‍होंने सफाई देते हुए कहा था कि उन्‍होंने वैसा ही किया, जो उनसे कहा गया था.
2005 में कुलकर्णी ने भाजपा से नाता तोड़ा, लेकिन 2009 में एक बार फिर भाजपा का दामन थामा और आडवाणी के कोर टीम का हिस्‍सा बने. भाजपा की करारी हार का ठिकरा कुलकर्णी ने पार्टी पर फोड़ा और भाजपा की नीतियों और संघ के दखल को जिम्‍मेदार बताया.
ऐसा भी बताया जाता है कि संसद में कैश फॉर वोट मामले में भी कुलकर्णी का हाथ था. 2012 में एक बार फिर कुलकर्णी ने भाजपा का दामन थामा और खबर आयी की वह नितिन गड़करी के साथ काम कर रहे हैं. कुल मिलाकर कुलकर्णी ऐसे भाजपा नेता के रूप में उभरे जिसने आडवाणी-वाजपेयी के साथ हाथ मिलाया, लेकिन संघ के घोर विरोधी रहे.

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