साहित्य अकादमी लौटाने वाले लेखकों की मंशा पर संदेह : महेश शर्मा
नयी दिल्ली : देश में बढती असहिष्णुता के खिलाफ और लेखकों और कवियों के अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के मद्देनजर केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने आज इस प्रकरण में नया मोड देते हुए कहा कि इस तरह की गैर जरुरी कार्रवाई को लेकर उन्हें उनकी मंशा पर संदेह होता है. शर्मा ने कहा, […]
नयी दिल्ली : देश में बढती असहिष्णुता के खिलाफ और लेखकों और कवियों के अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के मद्देनजर केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने आज इस प्रकरण में नया मोड देते हुए कहा कि इस तरह की गैर जरुरी कार्रवाई को लेकर उन्हें उनकी मंशा पर संदेह होता है. शर्मा ने कहा, ‘अगर आप उन लोगों के पास जाते हैं, जिन्होंने ऐसा किया है और हम उनकी मंशा का पता लगाते हैं और उनकी क्या पृष्ठभूमि रही है तो मेरा मानना है कि कुछ खुलासा करने वाली बात सामने आएगी.’ मंत्री का बयान कई प्रख्यात लेखकों के देश में बढती असहिष्णुता के खिलाफ अपना पुरस्कार लौटाने की पृष्ठभूमि में आया है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि जो लोग सम्मान लौटाने का फैसला कर रहे हैं अगर वो कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित हैं तो उन्हें राज्य या केंद्र सरकार को लिखना चाहिए था. मंत्री ने कहा, ‘अगर किसी को कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर शिकायत है तो उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री, देश के गृह मंत्री या प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया होता। वो मुझे भी पत्र लिख सकते थे क्योंकि मैं भी मंत्री हूं.’
उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह गैर जरुरी है या बात रखने का यह सही तरीका नहीं है. मेरा मानना है कि उन्होंने अपना प्रतिनिधित्व दिया होता तो हम भी उस आवाज में शामिल होते. उनके मुद्दे का समर्थन करने के लिए हम उनके साथ हैं कि देश में किसी की भी हत्या नहीं की जानी चाहिए.’ कम से कम 21 लेखकों ने अपना पुरस्कार लौटाने के फैसले की घोषणा की है. कुछ ने कहा है कि अल्पसंख्यक समुदाय आज देश में खुद को असुरक्षित और भयभीत महसूस कर रहा है. पुरस्कार लौटाने के पीछे के उद्देश्य पर सवाल उठाते हुए हालांकि शर्मा ने कहा, ‘इसके पीछे क्या थ्योरी है. इसके पीछे का क्या दर्शन है. मैं नहीं समझ सकता.’
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के तौर पर साहित्यिक लोगों के एक समूह ने उनकी कुछ कृतियों को लेकर उन्हें पुरस्कार दिया. उन्होंने कहा, ‘यह भारत सरकार का पुरस्कार नहीं है. यह पद्म पुरस्कार नहीं है.’ देश में बढती असहिष्णुता को लेकर इन लेखकों की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर संस्कृति मंत्री ने पलटकर पूछा कि कौन इसका समर्थन कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘इस असहिष्णुता का कौन समर्थन कर रहा है. सरकार, मंत्री या साहित्य अकादमी.’
उन्होंने जोर देकर कहा कि इन साहित्यिक विशेषज्ञों की बातों से हर कोई सहमत है कि किसी की भी हत्या निंदनीय है. उन्होंने कहा, ‘अगर किसी व्यक्ति की इस देश में या दुनिया में कहीं और भी हत्या की जाती है तो चाहे वह साहित्यिक व्यक्ति हो या कोई आम आदमी, हम सब इसकी कठोरतम शब्दों में निंदा करते हैं और उसमें कोई संदेह नहीं है.’ संस्कृति मंत्री ने साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की सेवाओं की भी सराहना की और यह साफ कर दिया कि सरकार की अकादमी का अधिग्रहण करने की कोई योजना नहीं है.