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समान नागरिक संहिता जरुरी परंतु आमसहमति होनी चाहिए: गौडा

नयी दिल्ली : विधि मंत्री डी वी सदानंद गौडा ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए समान नागरिक संहिता जरुरी है लेकिन इसे लाने के लिए कोई भी निर्णय व्यापक विचार विमर्श के बाद ही किया जा सकता है. उच्चतम न्यायालय ने एक दिन पहले ही केंद्र से पूछा था कि क्या वह […]

नयी दिल्ली : विधि मंत्री डी वी सदानंद गौडा ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए समान नागरिक संहिता जरुरी है लेकिन इसे लाने के लिए कोई भी निर्णय व्यापक विचार विमर्श के बाद ही किया जा सकता है. उच्चतम न्यायालय ने एक दिन पहले ही केंद्र से पूछा था कि क्या वह एक समान नागरिक संहिता लाने को तैयार है. गौडा ने कहा कि सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में अपना हलफनामा दायर किये जाने से पहले वह प्रधानमंत्री, अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों और शीर्ष विधि अधिकारियों से सलाह मशविरा करेंगे. उन्होंने कहा कि आम सहमति बनाने के लिए विभिन्न पर्सनल लॉ बोर्डों और अन्य हितधारकों से ‘‘व्यापक मशविरा’ किया जाएगा और इस प्रक्रिया में ‘‘कुछ समय’ लग सकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 44 कहता है कि एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए. राष्ट्रीय एकता के हित के लिए, निश्चित तौर पर एक समान नागरिक संहिता जरुरी है. यद्यपि यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. इस पर व्यापक चर्चा की जरुरत है. यहां तक कि समुदायों में, पार्टी लाइन से उपर, यहां तक कि विभिन्न संगठनों के बीच एक व्यापक चर्चा जरुरी है.’ उन्होंने कहा कि कोई भी निर्णय ‘‘एक या दो दिन में नहीं किया जा सकता. इसमें समय लगेगा.’ गौडा ने कहा, ‘‘यद्यपि संविधान की प्रस्तावना की अवधारणा और अनुच्छेद 44 और आज राष्ट्रीय हित में निश्चित तौर पर इस दिशा में एक कदम आगे उठाने की जरुरत है.’ मंत्री ने कहा कि उन्होंने गत अप्रैल में लोकसभा में भी ऐसा ही बयान दिया था जब यह मुद्दा चर्चा के लिए आया था.

गौडा ने कहा कि केरल और कर्नाटक उच्च न्यायालय इस संबंध में पहले ही अपना फैसला दे चुके हैं जब वे किसी विवाह कानून संबंधित मामले पर गौर कर रहे थे. दोनों न्यायालयों का कहना था कि समान नागरिक संहिता ‘‘देश की जरुरत है.’ गौडा ने कहा, ‘‘यद्यपि कोई भी निर्णय विभिन्न हितधारकों से उचित चर्चा के बाद ही किया जाएगा.’ उन्होंने कहा कि प्रस्तावित हलफनामे की सामग्री को अंतिम रुप उनकी प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल के सहयोगियों, अटॉर्नी जनरल और सालिसिटर जनरल से चर्चा के बाद ही दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि हलफनामे की सामग्री का निर्णय सरकार की आंतरिक चर्चा के बाद ही किया जाएगा. यह पूछे जाने पर कि सरकार इस पर आगे क्यों नहीं बढी जबकि समान नागरिक संहिता भाजपा की मूल विचारधारा का हिस्सा है, गौडा ने कहा, ‘‘आज तक हम इसलिए आगे नहीं बढ पाये क्योंकि मामला कुछ उच्च न्यायालयों और यहां तक कि उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन था.

हमें मुद्दे पर धीरे धीरे आगे बढना होगा.’ अयोध्या में राम मंदिर, अनुच्छेद 370 रद्द करने और समान नागरिक संहिता के भाजपा के घोषणापत्र में शामिल होने संबंधी एक सवाल पर गौडा ने कहा कि पार्टी ने कभी यह नहीं कहा कि ‘‘उन्हें तत्काल किया जाएगा.’ जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के उस फैसले के बारे में पूछे जाने कि अनुच्छेद 370 को जारी रखने की जरुरत है, उन्होंने कहा कि अभी आदेश को पढा नहीं है और संबंधित अतिरिक्त सालिसिटर जनरल को विधि मंत्रालय को उसकी एक प्रति मुहैया कराने को कहा गया है. गौडा इस सवाल को टाल गए कि क्या वह इस मुद्दे पर पीडीपी से मशविरा करेंगे और क्या सरकार उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाएगी। उन्होंने कहा कि उन्हें अभी आदेश को पढना है.

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