न तो आरोपपत्र पढ़ा और न ही यह पता कि राजा कब मंत्री बना

नयी दिल्ली : एक रोचक घटनाक्रम में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच टीम में शामिल केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज दिल्ली की अदालत में कहा कि उसने न तो मामले में आरोप पत्र ही पढ़ा है और न ही उसे यह पता कि इस घोटाले में मुख्य आरोपी ए. राजा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2013 3:36 AM

नयी दिल्ली : एक रोचक घटनाक्रम में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच टीम में शामिल केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज दिल्ली की अदालत में कहा कि उसने तो मामले में आरोप पत्र ही पढ़ा है और ही उसे यह पता कि इस घोटाले में मुख्य आरोपी . राजा मई 2007 में दूरसंचार मंत्री बना.

2जी स्पेक्ट्रम मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर पेश हुये सीबीआई के पुलिस उपाधीक्षक वी.एम. मित्तल ने अदालत में बचाव पक्ष के वकील द्वारा पूछताछ के दौरान राजा और उनके निजी सचिव आर.के. चंदोलिया के सरकार में पद संभालने के बारे में पूछे जाने पर उपरोक्त बात कही. आर.के. चंदोलिया भी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में एक अभियुक्त हैं.

मित्तल ने सीबीआई न्यायधीश ओपी सैनी की विशेष अदालत में कहा ‘‘मुझे नहीं पता कि मई 2007 में . राजा दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री बने. मुझे यह भी नहीं मालूम की आर.के. चंदोलिया ने मई 2007 में उनके निजी सचिव के तौर पर पद संभाला. मैंने इस मामले का आरोप पत्र भी नहीं पढ़ा है.’’

जिरह के दौरान मित्तल ने बचाव पक्ष के वकील विजय अग्रवाल के इस सुझाव से भी इनकार किया कि उन्होंने मामले में चंदोलिया को गलत तरीके से मामले में फंसाया है और जानबूझकर ऐसे दस्तावेजों को रिकार्ड में नहीं आने दिया जो कि आरोपी के लिये अनुकुल होते. जिरह कल भी जारी रहेगी.

Next Article

Exit mobile version