आरटीआई का पूरक है डिजिटल इंडिया : नरेंद्र मोदी

नयी दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डिजीटल इंडिया का सपना एक प्रकार से आरटीआई का पूरक है. जब चीजें ऑनलाइन होने लगती है तो अपने आप टा्रंसपेरेंसी आती है. साशन और जनता के बीच विश्‍वास होना चाहिए और विश्‍वास ट्रांसपेरेंसी से आता है. डिजिटल इंडिया को जितना ऑनलाइन करते जायेंगे, विश्‍वास उतना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 16, 2015 12:09 PM

नयी दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डिजीटल इंडिया का सपना एक प्रकार से आरटीआई का पूरक है. जब चीजें ऑनलाइन होने लगती है तो अपने आप टा्रंसपेरेंसी आती है. साशन और जनता के बीच विश्‍वास होना चाहिए और विश्‍वास ट्रांसपेरेंसी से आता है. डिजिटल इंडिया को जितना ऑनलाइन करते जायेंगे, विश्‍वास उतना बढ़ता जाएगा. पिछले दिनों ऑनलाइन कोल ब्‍लॉक की नीलामी हुई. पिछले बार इसमें कितना बवाल मचा. इस बार ऑनलाइन होने के कारण कोई बवाल नहीं हुआ. प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑनलाइन व्‍यवस्‍था में किसी को आरटीआई की जरुरत ही नहीं पड़ेगी. ऑनलाइन में सभी चीजें पहले से ही बता दी जाती है. यहां लोगों को जो सूचनाएं चाहिए वह पहले ही मिल जाती है. लोगों को जानकारी सहज रूप से मिलनी चाहिए.

नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह कानून सामान्‍य नागरिक को भी ताकतवर बनाता है. लोगों पर विश्‍वास किया जाना चाहिए. आज के समय में गोपनियता वाली मानसिकता नहीं होनी चाहिए. कार्यक्षेत्र में साथियों से काम शेयर करना चाहिए. पहले के समय में बगल वाले व्‍यक्ति से भी जानकारी छुपायी जाती थी, उस समय कुछ कारण रहा होगा. आज आरटीआई की एक सीमा है. जिनको जानकारी चाहिए, उन्‍हें मिलती है. अभी भी कुछ चीजें आरटीआई के माध्‍यम से पता नहीं चल पाता है.

उन्‍होंने कहा कि सामान्‍य से सामान्‍य व्‍यक्ति गिना किसी सीमा के सभी प्रकार की सूचनाएं ले सके यही लोकतंत्र की बुनियाद है. हम इस दिशा में जितनी तेज गति से आगे बढ़ेंगे, लोगों का विश्‍वास लोकतंत्र में उतना ही मजबूत होगा.जागृत समाज लोकतंत्र को प्रोत्‍साहित करती हैं. 1766 में सबसे पहले स्‍वीडन में इसका प्रारंभ लिखित रूप में हुआ था. यह व्‍यवस्‍था अमेरिका में आते-आते 1966 लग गया. 20 साल लगे. कुछ और देशों ने लगभग दो साल का समय लेकर इस कानून को लागू किया. हमारे यहां भी इसे लागू कर लोगों को साक्षर किया गया. सुधार की प्रक्रिया लगातार चलती रहेगी.

मोदी आज यहां सूचना का अधिकार कानून के दस वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्‍होंने कहा कि आरटीआई का उपयोग गवर्नेंस में बदलाव लाने के लिए होना चाहिए. जिस विभाग से जो सवाल पूछे जाते हैं उनपर विभाग को संज्ञान लेना चाहिए और एनालिसिस कर उसमें सुधार करने की आवश्‍यकता है. आरटीआई को सिर्फ जवाब देने तक सीमित रखा जाये तो शासन व्‍यवस्‍था में सुधार नहीं हो पायेगा. इसपर सोचने की जरुरत है. आरटीआई के सवालों के जवाब के साथ उसपर सोचने से गुड गवर्नेंस आयेगा. सवालों का परफैक्‍ट एनालिसिस कर सरकार की कमियों को उजागर कर उसमें सुधार करने की आवश्‍यकता है.

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