नयी दिल्ली : अगले लोकसभा चुनाव से पहले गैर-कांग्रेस और गैर-भाजपा दलों में एकता बनाने की कवायद में 30 अक्तूबर को यहां हो रहे साम्प्रदायिकता विरोधी सम्मेलन से स्थानीय राजनीति की मजबूरियों के चलते तृणमूल कांग्रेस, बसपा और वाईएसआर कांग्रेस के दूर रहने की संभावना है. चार वाम दलों सहित अन्नाद्रमुक, जदयू, सपा, बीजद, जदएस, नगा पीपुल्स फ्रंट, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, झारखंड विकास मोर्चा और आरपीआई :प्रकाश अम्बेडकर: इस सम्मेलन के पक्ष में हैं.
सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस इस सम्मेलन का हिस्सा इसलिए नहीं बन सकती है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा ही उसका मुख्य प्रतिद्वन्द्वी है. इसी तरह मायावती के नेतृत्व वाली बसपा उत्तर प्रदेश में अपनी कट्टर प्रतिद्वन्द्वी सपा के इस सम्मेलन में उपस्थिति के कारण इससे दूर रहेगी.बताया जाता है कि कुछ दल वाई एस जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस को सम्मेलन में बुलाना चाहते हैं लेकिन सीपीआई इसके विरुद्ध है. सीपीआई आन्ध्रप्रदेश में रेड्डी की पार्टी के खिलाफ प्रचार कर रही है.
इस सम्मेलन के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभा रहे एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हम सभी गैर-कांग्रेस और गैर-भाजपा दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन यह देश विविधिता वाला है. अलग अलग समस्याएं हैं. ऐसे में हम खुश हैं कि इस सम्मेलन में ऐसे अधिक से अधिक दल हिस्सा ले रहे हैं.’’