काग्रेस में 60 प्लस नेताओं का वक्त खत्म : जयराम रमेश

हैदराबाद: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आज कहा कि राहुल गांधी जब अगले साल मार्च या फिर इससे पहले पार्टी अध्यक्ष की कमान संभालेंगे तो वह अपने साथ नई टीम लाएंगे जो इस बात का संकेत है कि नई व्यवस्था में 60 साल से अधिक की उम्र के नेता सिर्फ सलाहकार की भूमिका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2015 4:35 PM

हैदराबाद: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आज कहा कि राहुल गांधी जब अगले साल मार्च या फिर इससे पहले पार्टी अध्यक्ष की कमान संभालेंगे तो वह अपने साथ नई टीम लाएंगे जो इस बात का संकेत है कि नई व्यवस्था में 60 साल से अधिक की उम्र के नेता सिर्फ सलाहकार की भूमिका निभा सकते हैं.

पार्टी के 70 साल से अधिक उम्र के नेताओं की सम्माजनक विदाई का सुझाव देते हुए रमेश ने इस बात पर जोर दिया कि परिवर्तन की प्रक्रिया सहज होगी तथा राहुल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ वैसा व्यवहार नहीं करेंगे जैसा मोदी ने भाजपा के अपने वरिष्छ नेताओं के साथ किया.

उन्होंने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘ जब राहुल जिम्मेदारी संभालेंगे तो यहां कोई बुरा व्यवहार नहीं होगा. मुझे नहीं लगता कि राहुल गांधी वरिष्ठ नेताओं के साथ उसी तरह का व्यवहार करेंगे जैसा मोदी ने वरिष्ठ नेताओं के साथ किया. मोदी ने आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, जसवंत सिंह.. हर किसी को साइबेरिया भेज दिया है.’ इस साल की शुरुआत में पूर्व पर्यावरण मंत्री ने उम्मीद जताई थी कि राहुल 2015 में अध्यक्ष की भूमिका संभाल लेंगे, लेकिन अब उनका कहना है कि समय लग रहा है क्योंकि पार्टी उपाध्यक्ष अपनी टीम चुनने और अपने तहत पार्टी का ढांचा तैयार करने में लगे हुए हैं.

रमेश ने कहा कि जब राहुल गांधी सत्ता संभालते हैं तो यह किसी एक व्यक्ति का कमान संभालना नहीं होगा बल्कि पूरी टीम वहां होगी.उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए वह (राहुल) ढांचे तथा लोगों का चयन करने में अधिक समय दे रहे हैं. लोगों के बिना कोई भी ढांचा निरर्थक है और बिना ढांचे के लोग भी उपयोगी नहीं होते हैं. इसलिए, पिछले कुछ महीनों से मेरे पास जो जानकारी आई है कि वह ढांचे को अंतिम रुप देने तथा साथ ही इस ढांचे के लिए लोगों का चयन करने के लिए समय दे रहे हैं.’

यह पूछे जाने पर कि राहुल कब पार्टी की कमान संभालेंगे, तो रमेश ने कहा कि ‘(कैलेंडर वर्ष) 2015 अभी पूरा नहीं हुआ है. यह मार्च (अगले साल) तक होना निश्चित है’, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में सिर्फ दो लोग सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही सही समयसीमा जानते हैं.उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व में शीर्ष स्तर पर बदलाव से नि:संदेह पीढी के बदलाव की उम्मीद होती है जो पहली बार 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देखने को मिला था.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हमें कांग्रेस में 30 साल उम्र और 40 साल उम्र के लोगों को प्रमुख स्थानों पर लाना होगा। 60 साल, 70 साल और 80 साल के लोगों के लिए समय पूरा हो चुका है.’ उन्होंने कहा, ‘‘आपको भारत को प्रतिबिंबित करना है. भारत में मध्य आयु 28 साल है. इसलिए पीढीगत बदलाव होना चाहिए। तथा जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे तब भी पीढीगत बदलाव हुआ था.’ यह पूछे जाने पर कि 60 साल से अधिक उम्र के नेताओं को ‘बाहर निकाले जाने’ से पहले ही सम्मानजनक तरीके से विदा हो जाना चाहिए तो रमेश ने कहा कि पुरानी पीढी के लोगों के लिए भी स्थान है. युवा और अनुभव दन दोनों का मिश्रण रखना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमें नई पीढी को 30 और 40 साल की उम्र में लाना होगा. वे (60 साल से अधिक के नेता) होंगे. उनको अनुभव, ज्ञान प्रदान करना चाहिए तथा ये चीजें उम्र के साथ आती हैं. 70 साल की उम्र के बाद आपकी सम्मानजनक विदाई होनी चाहिए

यह पूछे जाने पर कि राहुल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किए जाने वाले ‘सूट-बूट की सरकार’ के कटाक्ष को बार बार दोहराने के बाद अब आगे बढना चाहिए तो रमेश ने कहा कि यह ‘बडा कटाक्ष’ था तथा कांग्रेस उपाध्यक्ष का कथन ‘नकारात्मक कथन’ नहीं और वह ‘व्यापक कथन’ दे रहे हैं. वह समाज के सभी तबकों तक पहुंच रहे हैं.उन्होंने इस सुझाव को खारिज कर दिया कि कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव में सक्रिय नहीं दिख रही है.

रमेश ने कहा, ‘‘यह सच नहीं है. हम 40 सीटों पर चुनाव लड रहे हैं. बिहार चुनाव के नतीते मोदी के ताबूत में दूसरी कील :दिल्ली के चुनाव: साबित होंगे. हमारी बिहार में काफी मौजूदगी है.’ यह पूछे जाने पर कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद उन्हें कांग्रेस के फिर से मजबूत होने के संकेत दिखते हैं तो रमेश ने कहा कि मोदी को लेकर मोहभंग और निराशा बढ रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी चुनौती यह है कि हम मोहभंग और निराशा को कांग्रेस की ओर से सकारात्मक भावन में तब्दील करें। हमारे सामने यही वास्तविक लक्ष्य है. यह एक ऐसी चीज है जिसको लेकर हमें व्यवहारिक रुप से काम करना होगा

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