राष्ट्रपति के बयान को सिंघवी ने बताया सच्चे भारतीय का दर्द
नयी दिल्ली : कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार केवल बातें कर रही है, कुछ भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. उन्होंने राष्ट्रपति लगातार हो रही हिंसा पर प्रणब मुखर्जी के बयान के बाद कहा कि सरकार को चाहिए वह इस प्रकार […]
नयी दिल्ली : कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार केवल बातें कर रही है, कुछ भी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है. उन्होंने राष्ट्रपति लगातार हो रही हिंसा पर प्रणब मुखर्जी के बयान के बाद कहा कि सरकार को चाहिए वह इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगाये. केंद्र सरकार राज्य सरकार के जिम्मेवार ठहराकर इससे पल्ला नहीं झाड़ सकती. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का कथन केवल एक कथन नहीं है, बल्कि एक सच्चे भारतीय नागरिक के अंदर की पीड़ा है. इसके ठीक बाद प्रेस कांफ्रेंस कर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह चलन अत्यंत व्यथित करने वाला है कि कुछ लोग अपना नजरिया और विचार दर्ज कराने के लिए तोडफोड का तरीका अपना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अपना नजरिया और विचार दर्ज कराने के लिए तोडफोड का सहारा लेने के बजाय मुद्दों पर चर्चा करने का समुचित और सभ्य तरीका होना चाहिए. उधर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नरेंद्र मोदी सरकार को नसीहत देते हुए सवाल पूछा कि क्या देश में सहिष्णुता और असंतोष को स्वीकार करने की प्रवृत्ति समाप्त हो रही है. मुखर्जी ने कहा, ‘मानवता और बहुलवाद को किसी हालत में छोडा नहीं जाना चाहिए. अपनाना और आत्मसात करना भारतीय समाज की विशेषता है. हमारी सामूहिक क्षमता का उपयोग समाज में बुरी ताकतों के खिलाफ संघर्ष में किया जाना चाहिए.’
यहां के एक स्थानीय साप्ताहिक अखबार नयाप्रजंमा द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने आशंका जताई कि क्या सहिष्णुता और असंतोष को स्वीकार करने की क्षमता समाप्त हो रही है. मुखर्जी ने बताया कि हाल ही में वह जार्डन, फलस्तीन और इस्राइल की यात्रा पर गए. पश्चिम एशिया जहां हर कोई जानता है कि अशांति है. उन्होंने कहा, ‘मुझे जिस बात से हैरानी हुई वह यह थी कि तीनों देशों के नेताओं और इन देशों के तीन विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों ने मुझसे एक ही सवाल पूछा कि भारत में इतने मजबूत राष्ट्रवाद के पीछे का मंत्र क्या है, जहां धर्म, जाति, भाषा और इसी तरह की कई विविधताएं हैं.’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं इस बात को लेकर निश्चित नहीं हूं कि उन लोगों ने ऐसा सवाल क्यों पूछा. शायद चल रही अशांति के कारण उन्होंने ऐसा किया.’ उन्होंने कहा, ‘इस देश की राष्ट्रीय अखंडता का आधार सहिष्णुता है.’ मुखर्जी ने कहा, ‘यहां भी लोगों के दिमाग में यह सवाल पैदा हुआ है. भारतीय सभ्यता और संस्कृति का आवश्यक भाग उसका बहुलवाद है. सहिष्णुता दूसरे के धर्म और दूसरे की राय को अपनाने के कारण हमारा जुडाव मजबूत है.’ उन्होंने वहां मौजूद लोगों को रामकृष्ण परमहंस की ‘जौतो मौत, तौतो पौथ’ की याद दिलाई, जिसका अर्थ है कि जितनी आस्थाएं उतने ही रास्ते हैं.
गौरतलब है कि मुंबई में भाजपा की गठबंधन सहयोगी शिवसेना ने पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के संगीत कार्यक्रम को रद्द करवाया. इसी क्रम में शिवसेना ने आज भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड के प्रमुखों की बैठक नहीं होने दी और एक अन्य घटना में सुधीन्द्र कुलकर्णी के चेहरे पर कालिख पोत दी. इससे पूर्व दादरी में एक व्यक्ति को पीट पीटकर मारे जाने की घटना के संदर्भ में राष्ट्रपति ने विविधता, सहिष्णुता और बहुलवाद के मूल मूल्यों को बनाए रखने की पुरजोर अपील की थी. राष्ट्रपति का यह वक्तव्य ऐसे समय में आया है जब आज ही जम्मू कश्मीर के निर्दलीय विधायक शेख अब्दुल राशिद को एक हिंदू संगठन ने निशाना बनाया.
उन्होंने इस महीने के शुरू में श्रीनगर में गोमांस की दावत दी थी, जिसके विरोध में आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में उनपर स्याही और मोबिल आयल डाल दिया गया. उन्होंने कहा, ‘इस देश की राष्ट्रीय अखंडता का आधार सहिष्णुता है.’ दुर्गा पूजा समारोहों की पूर्व संध्या पर मुखर्जी ने उम्मीद जतायी कि सभी सकारात्मक ताकतों के समागम वाली महामाया असुरों का नाश कर देंगी.