सोची-समझी योजना का नतीजा था दादरी कांड ?

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) को शक है कि दादरी में गोमांस खाने की अफवाह पर पीट-पीटकर हुई मोहम्मद अखलाक की हत्या के पीछे ‘‘सोची-समझी योजना” थी. आयोग ने दादरी कांड के बाद नेताओं के विवादित बयानों को ‘‘परेशान करने वाला” करार देते हुए कहा कि ऐसे हिंसात्मक कार्यों से फायदा लेने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2015 6:30 PM

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) को शक है कि दादरी में गोमांस खाने की अफवाह पर पीट-पीटकर हुई मोहम्मद अखलाक की हत्या के पीछे ‘‘सोची-समझी योजना” थी. आयोग ने दादरी कांड के बाद नेताओं के विवादित बयानों को ‘‘परेशान करने वाला” करार देते हुए कहा कि ऐसे हिंसात्मक कार्यों से फायदा लेने के तहत विवादित बयान दिए गए.

दादरी के बिसहाडा गांव के दौरे के बाद विवादित बयान देने वाले भाजपा नेताओं की आलोचना करते हुए आयोग ने कहा कि ऐसे बयान विभिन्न समुदायों के बीच के संबंधों में ‘‘कटुता” पैदा करते हैं. आयोग ने कहा कि ऐसी घटनाएं हर कीमत पर थमनी चाहिए वरना ‘‘चीजें हाथ से निकल जाएंगी”.

आयोग के अध्यक्ष नसीम अहमद की अध्यक्षता में इसकी तीन सदस्यीय टीम बिसहडा गई थी और घटना की पडताल की थी. तीन सदस्यीय टीम की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘टीम का मानना है कि मंदिर के लाउडस्पीकर से हुई एक घोषणा के चंद मिनटों के भीतर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ का इकट्ठा हो जाना और ज्यादातर ग्रामीणों द्वारा दावा करना कि वे उस वक्त सोए हुए थे, इससे लगता है कि कोई सोची-समझी योजना थी.”
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘एनसीएम टीम को मिले तथ्य इस तरफ साफ इशारा करते हैं कि पूरा मामला योजना का नतीजा था जिसमें मंदिर जैसे एक पवित्र स्थान का इस्तेमाल एक समुदाय के लोगों को इकट्ठा कर एक गरीब-लाचार परिवार पर हमला करने के लिए किया गया.” आयोग ने कहा कि यह कहना ‘‘हल्का बयान देना होगा” कि यह हत्याकांड महज एक हादसा था.
आयोग ने केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और भाजपा के कुछ अन्य नेताओं की तरफ इशारा करते हुए यह बता कही है. शर्मा ने कहा था कि दादरी कांड महज एक हादसा है. रिपोर्ट में कहा गया कि इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग ऐसी किसी घटना के स्थल पर इकट्ठा हो जाते हैं और गैर-जिम्मेदाराना बयान देते हैं जिससे समुदायों के बीच कटुता और बढ़ जाती है.
आयोग ने कहा, ‘‘सभी राजनीतिक संस्थाओं को अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को समझाने की जरुरत है कि वे गैर-जिम्मेदाराना बयानों से परहेज करें और ऐसी हिंसात्मक घटनाओं का फायदा लेने की कोशिश न करें.” रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘नैतिकता की पहरेदारी की समस्या” बहुत तेजी से फैल रही है और खासकर यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादा हो रहा है.
आयोग ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर निगरानी की वकालत भी की. उसने दावा किया कि सांप्रदायिक भावनाएं भडकाने में सोशल मीडिया का धडल्ले से इस्तेमाल हो रहा है. जिले के अधिकारियों के हवाले से आयोग ने कहा कि एक गाय के मारे जाने की अफवाह फैलाकर लोगों को ‘‘भडकाने” की दो और कोशिशें की गई. लेकिन पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की और हालात को बिगडने से रोक लिया. अखलाक के परिजन ने आयोग के सदस्यों को बताया कि घटना से पहले उनके और अन्य ग्रामीणों के बीच किसी तरह का कोई तनाव नहीं था.

Next Article

Exit mobile version